“विकसित भारत के लिए एआई एवं डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का उपयोग” पर सम्मेलन का आयोजन

राष्ट्रीय स्मार्ट गवर्नमेंट संस्थान (एनआईएसजी) ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), भारत सरकार और आईटी निदेशालय, त्रिपुरा सरकार के साथ साझेदारी में  05 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में “विकसित भारत के लिए एआई एवं डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का उपयोग” शीर्षक से एक उच्च-स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन के लिए ईवाई नॉलेज पार्टनर था।

इस सम्मेलन ने प्रमुख नीति निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों, उद्योग दिग्गजों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया जिससे भारत में शासन एवं सार्वजनिक सेवा वितरण को सशक्त बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की परिवर्तनकारी भूमिका पर विचार-विमर्श किया जा सके और 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त किया जा सके।

उद्घाटन सत्र में श्री एस. कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जिन्होंने “डिजिटल रूप से सशक्त भारत के लिए दृष्टिकोण तथा विकसित भारत 2047‘ को प्राप्त करने में डीपीआई एवं एआई की भूमिका” पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत का तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र सबसे बेहतर ढंग से काम तब करता है जब सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज एवं शिक्षा जगत आपस में सहयोग करते हैं। लोगों तक लाभ पहुंचाने वाली तकनीक का निर्माण करने के लिए यह साझेदारी आवश्यक है। तकनीक को सुलभ एवं किफ़ायती बनाकर उसका लोकतंत्रीकरण करने से यह विभिन्न क्षेत्रों में डीपीआई के विकास में अपना मार्गदर्शन प्रदान करता रहेगा।

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इस सम्मेलन में श्री एम. नागराजू, सचिव, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और उन्होंने “भारत का डिजिटल दशक – डिजिटल शासन में भारत को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना” विषय पर विशेष भाषण दिया। उन्होंने बल देकर कहा कि भारत 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था और एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मज़बूत अवसंरचना, बुनियादी संरचना पर आधारित विकास एवं लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं इस प्रगति की कुंजी हैं। पिछला दशक परिवर्तनकारी रहा है और जन-धन तथा डीपीआई जैसी पहलों ने वित्तीय समावेशन को 2008 के 21 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्तमान में 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा कर दिया है।

श्री भुवनेश कुमार, यूआईडीएआई के सीईओ और एनआईएसजी के सीईओ ने स्वागत भाषण दिया और बताया कि किस प्रकार से एनआईएसजी का मॉडल सरकारी निर्णय लेने की गति को निजी क्षेत्र की खरीद एवं निगरानी की दक्षता के साथ जोड़ता है। इस दृष्टिकोण ने इसे डीपीआई पहलों का प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने और एआई को तेज़ी से अपनाने की दिशा में पारिस्थितिकी तंत्र का मार्गदर्शन करने में सक्षम बनाया है।

श्री महावीर सिंघवी, संयुक्त सचिव,एनईएसटी प्रभाग, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार ने इस कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया और इस बात पर बल दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब एक अमूर्त अवधारणा नहीं है। यह हमारे दैनिक जीवन को उन तरीकों से प्रभावित करता है जिन पर हम शायद ध्यान भी नहीं देते। भारत के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या हम केवल एआई का उपभोग करेंगे या उसका निर्माण भी करेंगे। इंडियाएआई मिशन के माध्यम से, हमने अपनी स्वयं की कंप्यूटिंग क्षमता, डेटासेट, आधारभूत मॉडल, नवाचार केंद्र और ऐसी संरचना बनाकर निर्माता बनने का विकल्प चुना है जो भारत की वास्तविकताओं एवं प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करते हैं।

श्री राहुल ऋषि, जीपीएस कंसल्टिंग लीडर, ईवाय एलएलपी ने सुझाव दिया कि अगर डीपीआई पिछले दशक में भारत के लिए एक शक्ति बढ़ाने वाला कारक रहा है, तो डीपीआई और एआई का अभिसरण सिर्फ 10 गुना नहीं बल्कि 100 गुना संभावनाओं को खोल देगा, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के प्रभाव को ऊर्जा, पानी और प्रत्येक क्षेत्र में फैला देगा, जहां भारत अब अगली पीढ़ी के सार्वजनिक पद्धति का निर्माण कर रहा है।

श्री पंकज खुराना, पार्टनर, ईवाई इंडिया ने कहा कि पिछले दशक में भारत का डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें आधार, यूपीआई, डिजीलॉकर और अन्य मौलिक स्तर शामिल हैं, ने अगली पीढ़ी की सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है। एआई के प्रगतिशील एकीकरण से अब ये प्लेटफ़ॉर्म ज्यादा पूर्वानुमानित, नागरिक-उत्तरदायी और मापनीय सेवाएं प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।

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