भारी उद्योग मंत्रालय ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “ई-मोटर्स में वैकल्पिक एवं उभरती प्रौद्योगिकियों” पर चिंतन शिविर का आयोजन किया

भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने 05 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “ई-मोटर्स में वैकल्पिक एवं उभरती प्रौद्योगिकियों” पर एक चिंतन शिविर का आयोजन किया।

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चिंतन शिविर में प्रमुख उद्योग दिग्गजों, कार्यक्षेत्र विशेषज्ञों, शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, जो ई-मोटर्स के लिए स्वच्छ, हरित एवं ज्यादा कुशल प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से गहन चर्चाओं, विशेषज्ञ वार्ताओं और संवादात्मक सत्रों में शामिल हुए। इस पहल का उद्देश्य ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और भारत की सतत गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए रणनीतिक तैयार करना था।

इस कार्यक्रम में सफल प्रौद्योगिकियों, सतत नवाचारों और ई-मोटर्स में उभरते रुझानों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन, स्वदेशी तत्परता, आत्मनिर्भरता तथा वैकल्पिक मोटर और सहायक प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई। आयोजित सत्रों के दौरान इंडक्शन मोटर्स, स्विच्ड रिलक्टेंस मोटर्स (एसआरएम), वाउंड-फील्ड सिंक्रोनस मोटर्स (डब्ल्यूएफएसएम), परमानेंट-मैग्नेट-असिस्टेड सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स (पीएमए-एसआरएम), तथा फेराइट या अन्य गैर-दुर्लभ-पृथ्वी चुंबक सामग्रियों का उपयोग करने वाली मोटरें जैसी प्रमुख मोटर प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला गया।

सत्र में वैकल्पिक मोटर प्रौद्योगिकियों के लिए राष्ट्रीय रूप से समन्वित मार्गदर्शिका प्रस्तुत की गई, जिसमें दोपहिया, तीनपहिया, पेसेंजर कार, बस और वाणिज्यिक वाहनों के अनुसार श्रेणीवार प्राथमिकताएं शामिल थीं, साथ ही प्रौद्योगिकी की परिपक्वता, लागत एवं प्रदर्शन के आधार पर अल्प, मध्यम और दीर्घकालिक प्रौद्योगिकी विकल्पों की पहचान की गई।

श्री कमरान रिजवी, सचिव, भारी उद्योग मंत्रालय, ने कहा कि चिंतन शिविर का उद्देश्य केवल दुर्लभ-पृथ्वी चुंबक आपूर्ति की चिंताओं का समाधान करना नहीं है बल्कि विद्युत मोटर प्रौद्योगिकियों के भविष्य की कल्पना करना भी है। उन्होंने कहा कि भारत को अगली पीढ़ी के ऐसे मोटरों का विकास एवं आपूर्ति करने की सोच रखने की आवश्यकता है जो हल्के, ज्यादा कुशल, लागत प्रभावी और पर्यावरण की दृष्टि से चिरस्थायी हों और भारत को उभरते ई-मोबिलिटी परिदृश्य में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सके।

इस कार्यक्रम का समापन उद्योग संगठनों, हितधारकों और अकादमिक एवं अनुसंधान संस्थानों द्वारा एक सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ कि वे भारत के ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिए एकसाथ मिलकर काम करेंगे। चिंतन शिविर प्रमुख हितधारकों को एकजुट करने, रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक मजबूत, प्रतिस्पर्धी एवं भविष्य के लिए तैयार ऑटोमोटिव पारिस्थितिकी तंत्र की नींव रखने में एक महत्वपूर्ण कदम था।

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