एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में जारी हिंसा के कारण बेरोकटोक मानव अधिकारों के उल्लंघन से सम्बन्धित मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया है, रिपोर्टों के अनुसार पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में एक राजनीतिक व्यक्ति के स्थानीय गिरोह द्वारा निर्दोष और गरीब महिलाओं को परेशान किया गया और उनका यौन उत्पीड़न किया गया। जिसके परिणामस्वरूप, पिछले कुछ दिनों से, स्थानीय ग्रामीणों ने विभिन्न गुंडों और असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए भयावाह अपराधों के अपराधियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया , जब स्थानीय प्रशासन अपराधियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने में विफल रहा।

यह भी बताया गया है कि महिलाओं के साथ-साथ बच्चों और वृद्धजनों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि महिलाओं को उन पर होने वाले अत्याचार और यौन शोषण के कारण अपना निवास स्थान छोड़ना पड़ा है।

आयोग ने पाया है कि संदेशखाली में हाल की घटनाएं, जैसा कि विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिपोर्ट किया गया है, प्रथम दृष्टया अंतरात्मा को झकझोर देने वाले मानव अधिकारों के उल्लंघन का संकेत देती है। इसलिए, मानव अधिकारों को संरक्षित, सुरक्षित और संवर्धित करने हेतु पीएचआर अधिनियम, 1993 की धारा 12 (ए) के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना और हिंसा की रिपोर्ट की गई घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेना अनिवार्य हो जाता है।

तदनुसार, आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर उत्तर 24 परगना के संदेशखाली और अन्य इलाकों में हुई हिंसा, अपराध करने वालों के विरुद्ध की गई या की जाने वाली कार्रवाई, सुरक्षा और प्रस्तावित कार्रवाई,महिलाओं सहित स्थानीय लोगों के बीच विश्वास जगाने के लिए उठाए गए या उठाए जाने वाले अन्य सुधारात्मक उपाय, हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा, यदि कोई हो, भुगतान किया जाना चाहिए या किया जाना चाहिए के संबंध में चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, आयोग ने उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में मानवाधिकारों की हिंसा की घटनाओं की मौके पर जांच करके तथ्यों का पता लगाने के लिए अपनी टीम को तैनात करना उचित समझा है। टीम का नेतृत्व आयोग के एक सदस्य द्वारा किया जाएगा जिसकी सहायता आयोग के अधिकारी करेंगे।

नोटिस जारी करते हुए आयोग ने आगे कहा है कि जीवन अपने आप में अनमोल है, जिसमें गरिमा, स्वतंत्रता, समानता और स्वतंत्रता के अधिकार शामिल हैं। संवैधानिक रूप से प्रदत्त इन अधिकारों की रक्षा करना राज्य का परम कर्तव्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *