वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) के सचिव डॉ. विवेक जोशी ने आज नई दिल्ली में वित्तीय सेवा विभाग द्वारा आयोजित ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (डीआरएटी) के अध्यक्षों और ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की।
इस बैठक में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी; मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए); और वित्त मंत्रालय एवं भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
बैठक के दौरान, ऋणों की शीघ्र वसूली के लिए डीआरटी की प्रभावकारिता बढ़ाने हेतु विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा की गई। इस बैठक के दौरान जिन मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें शामिल हैं:
- डीआरटी और डीआरएटी सख्त निगरानी के माध्यम से विभिन्न चरणों में लंबित मामलों को कम करने हेतु हरसंभव कदम उठाएंगे।
- वसूली की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने हेतु ऋण वसूली न्यायाधिकरण विनियम, सरफेसी अधिनियम और आरडीबी अधिनियम में बदलाव एवं संशोधन के संबंध में कई सुझावों पर चर्चा की गई।
- बैंक पैनल में शामिल अधिवक्ताओं के प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा करेंगे और पैनल में शामिल अधिवक्ताओं को उनके प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए मामलों के आवंटन को तर्कसंगत बनायेंगे।
- विभिन्न अधिनियमों- सरफेसी अधिनियम अधिनियम, 2002, आरडीबी अधिनियम, 1993 और आईबीसी, 2016 के प्रावधानों के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों की संपत्तियों की लिस्टिंग और नीलामी के लिए विकासाधीन ई-नीलामी मंच का लाभ उठाना।
- बैंक और वित्तीय संस्थान उन मामलों का समाधान करेंगे जो डीआरटी और डीआरएटी में लंबित हैं लेकिन उनका निपटारा पहले ही हो चुका है।
- सभी बैंक न्यायिक मंचों के समक्ष अपने संबंधित मामलों की सभी सुनवाई में अपने अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे।