केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि आज से पंद्रह साल बाद यानी वर्ष 2040 में कोई भारतीय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा

पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर आयोजित एक महत्वपूर्ण समारोह में, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां घोषणा की कि आज से पंद्रह वर्ष बाद, अर्थात वर्ष 2040 में, कोई भारतीय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।

भारत मंडपम में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की गरिमामयी उपस्थिति में राष्ट्र को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों और उसके महत्वाकांक्षी भविष्य के लक्ष्यों के बारे में प्रकाश डाला।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के ऐतिहासिक लैंडिंग पर प्रकाश डाला, जिसने विश्व को आश्चर्यचकित करने के साथ-साथ भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया।

उन्होंने यह स्मरण कराया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि 23 अगस्त, 2023 को पूरे देश में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा तथा चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ रखा जाएगा। इस उद्घाटन समारोह के विषय, “चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा”, की गूंज पूरे कार्यक्रम में सुनाई दी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पिछले छह दशकों में भारत ने न केवल अपने नागरिकों के जीवन को छुआ है, बल्कि चांद पर भी पहुंचा है।” उन्होंने पिछले दशक में हुई महत्वपूर्ण प्रगति पर जोर दिया। इनमें सफल मंगल ऑर्बिटर मिशन, एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण, आगामी आदित्य-एल1 सौर मिशन और एक्स-रे खगोल विज्ञान मिशन एक्सपोसैट शामिल हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 55 साल पहले वर्ष 1969 में हुई थी, जब अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा था। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय के अटूट समर्पण की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया।

अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने वैज्ञानिक मिशनों में तेजी लाने और भारत के वैज्ञानिक समुदाय की क्षमता को उजागर करने के लिए वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उपलब्ध कराई गई नीतिगत सहायता और नेतृत्व को इसके लिए श्रेय दिया। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने के बाद अंतरिक्ष स्टार्टअप में उल्लेखनीय वृद्धि का भी उल्लेख किया, जिनकी संख्या बढ़कर अब लगभग 300 हो गई है। उन्होंने वित्त मंत्री के अनुमान को दोहराते हुए कहा कि अगले दशक में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 बिलियन डॉलर से बढ़कर 44 बिलियन डॉलर हो जाएगी।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अंतरिक्ष क्षेत्र को “मुक्त” करने तथा इसे जनता के लिए अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की, जिसका प्रमाण श्रीहरिकोटा में चन्द्रयान-3 के प्रक्षेपण को लाइव देखने वाले 5,000 से अधिक दर्शकों तथा लगभग 1,000 मीडिया कर्मियों से मिलता है।

भविष्य की ओर देखते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष विजन वर्ष 2047 को रेखांकित किया, जिसमें वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) की स्थापना और वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का चंद्रमा पर उतरना शामिल है। उन्होंने ऐसा विश्वास व्यक्त किया, वह पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव अंतरिक्ष उड़ान के साथ शुरू होता है और उसका स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत की अपनी वैज्ञानिक गतिविधियों तक विस्तार होगा। इससे चंद्र अन्वेषण और उससे आगे की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष परिवहन, प्लेटफॉर्म और ग्राउंड स्टेशनों में भारत की संपूर्ण क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के प्रमुख पहलू का उल्लेख किया। डॉ. सिंह ने मत्स्य पालन, कृषि, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और उपग्रह संचार जैसे क्षेत्रों पर अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के प्रभाव का उल्लेख किया, जिन्हें भारत की अंतरिक्ष प्रगति से लाभ पहुंचा है।

राष्ट्र द्वारा अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाए जाने के अवसर पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह विश्वास व्यक्त किया कि यह वार्षिक आयोजन भारत की अंतरिक्ष यात्रा और इसके भविष्य के प्रयासों के बारे में नागरिकों में अधिक जागरूकता पैदा करेगा और उत्साह का संचार करेगा।

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