गांधी हत्या का सहारा लेकर नेहरू ने १९५२ का चुनाव जीतने के लिए हिन्दू महासभा को निर्दयता से कुचला

इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार

महामंत्री, वीर सावरकर फाउंडेशन

१९४५ के केंद्रीय लेजिस्लेटिव असेंबली के चुनाव में कांग्रेस को ८६ प्रतिशत वोट मिले व ५६ सिट मिली। हिन्दू महासभा को एक भी सीट नहीं मिली,पर १४ प्रतिशत हिन्दू वोट ज़रूर मिले। कांग्रेस के सशक्त प्रतिपक्ष के रूप में हिन्दू महासभा उभरी। कांग्रेस ने १९४५ के चुनाव में देश का विभाजन गाँधी जी की लास पर होगा,कांग्रेस किसी भी क़ीमत में देश का विभाजन नहीं होने देगी। पर कांग्रेस ने देश का विभाजन स्वीकार कर पाकिस्तान का निर्माण किया। हिन्दू मतदाताओं के साथ इस बिस्वासघात का जवाब कांग्रेस को १९५२ के चुनाव में देश की हिन्दू जनता देती व हिन्दू महासभा का जीतना तय था। गाँधी की हत्या करवाकर हिन्दू महासभा को किस तरह बदनाम व ख़त्म करना है,यह पटकथा नेहरू ने गाँधी की हत्या करवाने के पहले लिख ली थी। गाँधी हत्या के मात्र दो घण्टा बाद नेहरू ने हिन्दू महासभा के सर्वोच्च नेता वीर सावरकर के निजी सुरक्षाअधिकारी अप्पा कासर को गिरफ़्तार करवा दिया। ताकि वीर सावरकर को आसानी से मारा जा सके। गोडसे एक महारास्ट्रियन चितपावन ब्राह्मण था, इसलिये चितपावन ब्राह्मणों का नरसंघार नेहरू ने आरंभ करवाया। वीर सावरकर जी भी चितपावन ब्राह्मण थे। उनके प्राण लेने के लिये नेहरू के भेजे गुण्डो ने उनपर प्राणघातक हमला किया। यदि वीर सावरकर मारे जाते तो कहा जाता,जनता के आक्रोश के वे शिकार हुवे। पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं के समय पर पहुँच जाने व सावरकर जी व उनके पुत्र की बहादुरी के चलते नेहरू वीर सावरकर को मरवाने में सफल नहीं हो सका। अब ५ फ़रवरी १९४८ वीर सावरकर को बम्बई पब्लिक सिक्योरिटी एण्ड मेजर्स एक्ट में बंबई पुलिस गिरफ़्तार करलेती है। २३ मार्च १९४८ तक उनकी पत्नी व पुत्र को मालूम नहीं वे कहा है। ११ मार्च १९४८ दिल्ली के एक मजिस्ट्रेट ने वीर सावरकर को गाँधी हत्या के षड्यंत्र का प्रमुख बनाया। जिस मेजीस्ट्रेट को सिर्फ़ स्टेटमेंट लेने के अलावा और कोई अधिकार नहीं था।उसने सावरकर को अभियुक्त बनाया। इस तरह नेहरू ने वीर सावरकर को गाँधी हत्या काण्ड में फसाया। केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य डॉ.अंबेडकर ने नेहरू के इस कुकृत्य पर कहा नेहरू ने सावरकर को झूठे गाँधी हत्याकाण्ड में फसाया है। नेहरू ने गाँधी हत्या काण्ड की सुनवाई लाल क़िले में एक विशेष न्यायालय में करवाई। वीर सावरकर,गोडसे व अन्य अभियुक्तों को सारे भारत में बदनाम करने के लिये सरकारी मीडिया के अलावा सभी समाचार पत्रों में अभियोग पक्ष को ज़बरदस्त प्रचार कर हिन्दू महासभा, वीर सावरकर, गोडसे जो एक पत्रकार था अग्रणी समाचार पत्र का संपादक था,वह दिल्ली उसके समाचार पत्र पर पाकिस्तान की घटनावों को लिखने के लिये बहुत पेनल्टी लगा दी गई थी। उसकी शिकायत करने दिल्ली आया था। वहाँ हिन्दू शरणार्थियों के प्रति घृणित ब्यवहार से दुखी होकर उनके दुखो का कारण गांधी को समझ कर गाँधी को मारने का निर्णय लिया। जब वीर सावरकर, गोडसे आदि को अपना बचाव करना था प्रेस के लिये लाल क़िले के दरवाज़े बंद कर दिया। भारत की जनता इनका पक्ष जान भी नहीं पायी। गोडसे ने जो लिखित बचाव किया,उस पर नेहरू ने प्रतिबंध लगा दिया। हिन्दू महासभा इसके नेतावो को नेहरू ने गाँधी हत्या की आड़ में सारे भारत में बदनाम कर दिया। १० फ़रवरी १९४९ न्यायमूर्ति आत्माचरण में वीर सावरकर को गाँधी हत्या के दोष से पूर्णतः निर्दोष कहते हुवे बरी ही नहीं किया। सरकार को आदेश दिया सावरकर ने देश के लिये बहुत भुगता है। इस बात की जाँच की जानी चाहिए उनका नाम गाँधी हत्या काण्ड में कैसे घसीटा गया। गृहमंत्री सरदार पटेल नेहरू से कहते है गाँधी हत्याकाण्ड में १० लोग सामिल है जिसमें से ८ लोगो की गिरफ़्तारी हो गई है। पर नेहरू को तो सिर्फ़ ८ गिरफ़्तारियों से संतोष नहीं था। उन्हें तो हिन्दू महासभा का ऊपर से नीचे तक संगठन ख़त्म करना था। नेहरू ने हिन्दू महासभा व राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ के ३० हज़ार कार्यकर्ताओं व राष्ट्रीय नेताओं को जेल में डाल दिया और हिन्दू महासभा व राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ पर आरोप लगाया कि वह हिंसा के माध्यम से सत्ता हासिल करना चाहते है व गाँधी की हत्या इस दिशा में उनका पहला कदम है। हिन्दू महासभा को पंगु बना दिया। वीर सावरकर की रास्ट्रब्यापी ख्याति इतना होने के बावजूद कम नहीं हुवी। वीर सावरकर जी की रिहाई की खबर पाकर २ लाख उनके समर्थक लाल क़िले पर उनका स्वागत करने पहुँच गए। सरकार ने लाल क़िले से वीर सावरकर के बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया। फिर उनपर पंजाब पब्लिक सिक्योरिटी मेजर्स एक्ट लगा कर दिल्ली म प्रवेश व निवास पर प्रतिबंध लगा कर सीधा ट्रेन में बैठा कर बंबई पहुँचा दिया। दिल्ली में हिन्दू महासभा अपनी कार्यकारिणी की सभा नहीं बुला सकती। जब कलकत्ते में हिंदू महासभा के अधिवेशन में वीर सावरकर के लिए जन समुद्र उतर पड़ा। इसे देखते हुवे नेहरू सरकार ने सावरकर जी पर झूठा आरोप लगा कर ४ अप्रैल १९५० बम्बई में जेल में डाल दिया। १०० दिन बाद वीर सावरकर को जेल से बेल इस शर्त के साथ मिली कि वे राजनीति में भाग नहीं ले सकते। जो १९५२ के चुनाव के कुछ समय पहले हटी। गाँधी हत्या का सहारा लेकर नेहरू ने १९५२ में चुनाव जीतने वाली हिन्दू महासभा को बदनाम कर, नेतावो से लेकर ज़मीन स्तर के कार्यकर्ताओं को जेल में डाल कर पंगु बना दिया, हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय नेता राजनीति में भाग नहीं ले सकते आदि प्रतिबंध लगा कर कांग्रेस को जीता दिया।

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