कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय-खाय से प्रारंभ होने वाला छठ महापर्व तीसरे दिन सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पूर्ण होता है.
सूर्योपासना का यह महापर्व आरोग्य, सौभाग्य, संतान की प्राप्ति एवं उसकी रक्षा के लिए रखा जाता है जिसका उल्लेख स्कन्द पुराण में भी मिलता है.
इस दौरान व्रतियों द्वारा तीन दिनों तक तन एवं मन की शुद्धि हेतु कठोर व्रत रख सूर्य देव की उपासना की जाती है.
दिनकर के उगते और अस्ताचलगामी दोनों स्वरूपों की पूजा-अर्चना वाला यह पर्व भारतीय संस्कृति में प्रकृति की उपासना एवं इसके प्रति अटूट श्रद्धा भाव को भी प्रतिबिंबित करता है.