पुराणों के अनुसार सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग इन चार युगों में समयकाल विभाजित है। द्वापर युग में युगपुरूष के रूप में असमान्य शक्तियों के साथ श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंस के कारागृह में जन्म लिया। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है अतः हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जा रही है।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में पृथ्वी पर अवतार धारण किया । इस दिन श्री कृष्ण का तत्त्व पृथ्वी पर नित्य की तुलना में 1000 गुना अधिक कार्यरत होता है । इसलिए इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ का जाप समान अन्य कृष्ण की उपासना भावपूर्ण रूप से करने पर हमें उसका अधिक लाभ मिलता है । इस दिन श्रीकृष्ण की मन से पूजा करने से यश, कीर्ति, पराक्रम, ऐश्वर्य, सौभाग्य, वैभव, संतान प्राप्ति, धन, सपंन्नता, आरोग्य, आयु तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी के दिन ध्यान, जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में साफ- सफाई करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें। इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं। लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं। अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें। इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था। रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें। लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं। लड्डू गोपाल की आरती करें। इस दिन लड्डू गोपाल का अधिकाधिक भाव से सेवा करे व ध्यान रखे।
गोकुलाष्टमी को दिन भर उपवास रख, रात्रि बारह बजे एक पालने में बालकृष्ण का जन्म मनाया जाता है । उसके उपरांत प्रसाद ग्रहण कर उपवास छोडते हैं अथवा दूसरे दिन सवेरे दहीकाला का प्रसाद लेकर उपवास छोडते हैं । विभिन्न खाद्यपदार्थ – दही, दूध, मक्खन, इन सबके मिश्रण को काला कहते हैं ।
भगवान श्री कृष्ण जन्म का समय रात्रि 12 होने के कारण उससे पूर्व जन्माष्टमी पूजन की तैयारी कर लें ।
जन्माष्टमी की पवित्रता बनाए रखने के लिए इससे बचें !
1. लाखों रुपये की प्रतियोगिता आयोजित कर उत्सव का व्यावसायीकरण!
2. त्योहार के लिए तम्बाकू, गुटखा आदि के विज्ञापन या उनके निर्माताओं द्वारा प्रायोजन!
3. इस अवसर पर जुलूस निकालना, शराब पीना, नाचना, पानी के गुब्बारे फेंकना और महिलाओं से छेड़छाड़ करना!
जन्माष्टमी के दौरान उत्पात से बचने के लिए हिंदुओं ये करें !
1. आवारागर्दी, महिलाओं से छेड़छाड़ जैसी कोई भी गलत हरकत पाए जाने पर पुलिस को सूचना दें!
2. गोकुलाष्टमी उत्सव मंडलों के पदाधिकारियों से मिलें और उन्हें कदाचार के बारे में बताएं!