अमेरिकी एजेंट युनूस के हाथ बंग्लादेश कमान पाकिस्तान, चीन, अमेरिका देंगे फरमान

नन्द किशोर जोशी

आज रात 8 बजे बंग्लादेश में एक इंटेरिम सरकार का गठन होने जारहा है। इसके मुखिया होंगे बंग्लादेश के एक मात्र नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस।यह इंटेरिम सरकार अगले कुछ महीनों में बंग्लादेश में आम चुनाव करायेगी,ऐसा वहां की सेना के सेनापति जमान ने मीडिया को सूचना दी है।

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस वहां के ग्रामीण बैंक के संस्थापक हैं।ये अर्थशास्त्र की पढ़ाई अमेरिका में, अमेरिकी स्कोलरशीप पाकर किये हैं।इन पर अमेरिकी सरकार ने पैसा लगाया है,इनको प्रोत्साहित किया है ,इनको बढ़ावा दिया है।

यहां तक कि अमेरिका के इशारे पर ही नोबेल पुरस्कार समिति ने इनको कुछ साल पहले नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था। मतलब साफ है कि अमेरिका ने बड़ी सोची समझी रणनीति के तहत मोहम्मद युनूस पर सालों पहले इन्वेस्टमेंट किया था।

अब मोहम्मद युनूस आज बंग्लादेश सरकार में इंटेरिम सरकार के मुखिया होंगे,तब अमेरिका के लिए वसूली का समय आगया है। अमेरिका अपनी मनमानी वहां बंग्लादेश में चलायेगा। अमेरिका अपनी कंपनियों को वहां ठेकेदारी , सप्लाई करायेगा , अपने चमचों के द्वारा।

दरअसल अमेरिका ने शेख हसीना से बंग्लादेश का एक समुद्री टापु सेंट मार्टिन मांगा था पिछले साल,जिसे शेख हसीना ने मना कर दिया। वहां अमेरिका अपना जंगी बेड़ा रखता , वहां से चीन को कंट्रोल करने की कोशिश करता तथा भारत को दबाव में रखकर नकेल कसने की कोशिश करता।

लेकिन शेख हसीना ने साफ मना कर दिया, इससे अमेरिका चिढ़ गया शेख हसीना पर, परिणाम भोगने की चेतावनी भी दिया था अमेरिका हसीना को। हसीना झूकी नहीं, भारत के स्वार्थ के विपरित गयी नहीं।

तभी से अमेरिका बंग्लादेश में अराजकता फैलाने की कोशिश में लगा हुआ था।उसे पाकिस्तान की आइएसआइ, बंग्लादेश की जमाते इस्लामी तथा वहां की विरोधी राजनीतिक पार्टी बीएनपी का साथ मिला।

चीन भी बंग्लादेश से ख़फ़ा था।वह इसलिए खफा था कि उसे वहां एक बंदरगाह चाहिए था, अपने नौसैनिक अड्डे के लिए,जिसे हसीना ने मना कर दिया। चीन चाहता था कि बंदरगाह बनाने के नाम पर बंग्लादेश को कर्ज के जाल में फंसाउंगा , जैसे उसने श्रीलंका को फंसाया था, वहां हंबनटोटा बंदरगाह लेलिया 99 साल के लिए।वह इसलिए कि चीन ने बड़ी ऊंची रेट पर क़र्ज़ दिया था, श्रीलंका को कर्ज़ जाल में फंसाया था।

शेख हसीना अमेरिका, चीन की चाल में नहीं फंसी, भारत के हितैषी के तौर पर भारत का ख्याल रखती रही ।यही बातें अमेरिका, चीन को नागवार लगी और उन्होंने पाकिस्तान की आइएसआइ तथा अमेरिका की सीआइए के साथ मिलकर शेख हसीना वाजेद का तख्तापलट करवा दिया। वहां की जमाते इस्लामी, बीएनपी ने भी अमेरिका, चीन, पाकिस्तान का साथ दिया।

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