इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार

अंतर राष्ट्रीय महामंत्री, बिश्व सावरकर मंच
एक एमबीए ५५ वर्ष के राजनैतिक कार्यकर्ता होने के चलते मेरा बंगाल की राजनीति में ध्यान लगता रहता है। ममता बनर्जी २०२१ चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुवे सुवेन्दु अधिकारी से बिधान सभा का चुनाव हारने के बाद मैंने उसके राजनैतिक इतिहास का गहन अध्ययन किया। तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा दिलीप घोष ने बीजेपी को जो सफलता दिलाई २ से १८ संसद, १० प्रतिशत वोट से ४० प्रतिशत वोट पर बीजेपी को पहुँचा दिया। एमएलए का टिकट मिला। एमएलए बना। एमपी का टिकट एमपी बना। इस तरह किसी नेता ने अपने दल को नहीं जिताया। ममता के सर पर सीपीएम के प्रहार से यह सीपीएम बिरोधी राजनैतिक शक्तियों की मुख्य नेता बन गई। ममता का तरबूज़ नेता सोमेंन मित्र का स्कोर ममता से अच्छा था। २००१ के बिधान सभा चुनाव में टीएमसी को २४४ सिट मिली। सोमेंन मित्र की प्रदेश कांग्रेस को ४८ सीट मिली। २४४ सिट पर टीएमसी लैड कर २००१ में ६० सीट पर जयी जीवी वही ४८ सीट पर लड़कर सोमेंन मित्र के नेतृत्व वाली कांग्रेस ३०सीट पर विजयी रही। सोमेंन मित्र का स्ट्राइक रेट ६० प्रतिशत रहा ममता का स्ट्राइक रेट २४ प्रतिशत रहा। २००६ के चुनाव में ममता सोमैन के अलग अलग लड़ने से २९४ सीट पर लड़ कर ममता ३० सिट पर व सोमें २४ सिट पर विजयी रही। २०११ में सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी को ४८ सीट पर लड़ कर अपनी पार्टी को ख़त्म किया। २४६ सिट पर टीएमसी लादकर १७७ सिट पाते ममता ने पहला काम यह किया कांग्रेस को ख़त्म करने की दिसा में चली। इसके पहले ममता एमपी बनती कभी इंदिरा गांधी की मौत की हवा। कभी राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति, कभी वाजपेयी की पॉपुलैरिटी के चलते जीतती है। इसी लिये मैं आश्चर्य चकित नहीं होता जब वह नंदी ग्राम में मुख्यमंत्री के रूप में नंदीग्राम के नायक सुवेंदु अधिकारी से हार जाती है। दिलीप घोष ममता से बीजेपी केबलिये १६ सीट छीन लेते है। ममता की मार पीट करने वाली राजनीति से लगता है उसे मारपीट करके विपक्ष को भयभीत करके जीतने के लिए अपने पर भरोसा नहीं है। इस बार बीजेपी एक बड़ी तागत के साथ लड़ा रही है। दिलीप घोष तो ७८००० बूथ में २०००० बूथ पर ही एजेंट दे पाये थे। अभी तो बीजेपी राज्य की सभ बूथ एजेंट दे पारही है बिधान सभा चुनाव तो मुस्लिम मतदाताओं को एनआरसी का ४००००० लाख वोट को टीएमसी में दिलाने से ही वह जीत पायी थी। २०१९ में टीएमसी ३६ से २२ पर आ गई थी। २०२४ में २२ से १२ पर आना निश्चित है। बीजेपी १८ से ३० पर अवश्य बढ़ेगी।२००९ में जिस सोमेंन मित्र को तरबूज़ कह कर राजनीति स्टार्ट की उसी सोमेंnको २००९ में टीएमसी का टिकट देकर ममता ने अच्छा रिजल्ट किया।