मुग़ल साम्राज्य का विस्तार अकबर ने भारत वर्ष में बहुत चालाकी से किया। जयपुर राज घराने का दामाद बन कर अपनी पत्नी के भाई मान सिंह के साथ समझौता किया,अकबर के लिये लड़ाई लड़े,लड़ाई में बिजय के बाद जो लूट का माल मिलेगा,वह मानसिंह का होगा। जो ज़मीन मिलेगी वह अकबर की होगी। मूर्ख माँ सिंह को अकबर ने बेवक़ूफ़ बनाया है। उसको कहना चाहिए था जीती हुवी जमीं मेरी लूटा हुवा माल आपका। मान सिंह एक पर एक राज्य जीतता गया। अकबर का राज्य बिस्तार होता रहा।

इस तरह एक हिन्दू मानसिंह की बहादुरी का लाभ अकबर को मिला। अकबर के वंश में शाहजहाँ नामक एक पोता हुवा उसका बेटा औरंगज़ेब इतना दुष्ट था राजा बनने के लिए उसने अपने सभी भाइयों को ही नहीं मारा अपने पिता को जेल में डाला ही नहीं उसको अधिकतम पीड़ा देने के लिए अपने भाइयों का कटा हुवा शिर भेट् किया। शिवा जी महाराज के बेटे शम्भाजी को औरंगज़ेब ने समझ रखा था उस पर अत्याचार करेंगे तो वह टूट जाएगा व इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेगा तथा शिवाजी की कीर्ति समाप्त हो जायेगी। हिंदू समाज में आया जोश सदा सदा के लिए ठंडा हो जियेगा। पर धन्य है शिवाजी का घड़ा हुवा सम्भाजी महारावजिस जिसे शिवाजी ने पैदा ही नहीं किया घड़ा भी था औरगज़ेब ने सम्भाजीआँख में गरम सरिया ढुका कर उनकी आँखों को जलाया। सम्भाजी के नाखूनों को उखाड़ा २२ दिन तक शरीर का मांस नोच नोच कर उखाड़ा और मौत के घाट उतारा। गधा औरंगज़ेब बेवक़ूफ़ था। जिसको शिवाजी महाराज ने पैदा ही नहीं किया घड़ा भी है वह कभी अपने पिता की कीर्ति में काली नहीं लगाएगा चाहे उसे कुछ भी क़ुर्बानी देनी क्यों न पड़े। भीषण कष्ट उठाना क्यों न पड़े। हम सावरकर वादीयो ने संकल्प लिया है हम जब सक्ता में साझिदार होगे औरंगज़ेब को उसकी मज़ार से निकाल कर सम्भाजी का बदला उसी प्रकार लेंगे जैसे औरंगज़ेब ने सम्भाजी के साथ किया था।