देवार्चन के ६१ वें विसर्जन पात्र की स्थापना

भुवनेश्वर, फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन झारपाडा स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण में अनिता मूंदड़ा एवं सुनिल मूंदड़ा के द्वारा देवार्चन के ६१वें विसर्जन पात्र का समर्पण मंदिर के अध्यक्ष सत्यकांत साहू की सहमति से किया गया। मंदिर में पात्र का संकल्प पंडित दीनबंधु पंडा के द्वारा करवाया गया।

उल्लेखनीय है कि भुवनेश्वर स्थित देवार्चन संस्था वहां के स्थानीय मंदिरों से देवी देवताओं पर चढ़े हुए फूल रोजाना प्लास्टिक के बड़े डिब्बों के माध्यम से संग्रह करती है , तत्पश्चात उससे खाद तैयार करती है।खाद लोगों में बांटती है।२०२२ में देवार्चन संस्था का गठन हुआ था।

समाजसेवी रमा शंकर रुंगटा के अथक प्रयास से इस सेवाभावी संस्था का गठन किया गया है।३ मार्च २०२४ को चंदका देवार्चन वाटिका में गजराज (हाथी) का आगमन हुआ था।हाथी के पांव के निशान भी पाये गये।

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