केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भविष्यवादी भारत के दृष्टिकोण को प्रतिबंधित करता है।

केंद्रीय मंत्री ने इसे एक तकनीकी रूप से उन्नत एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र के लिए एक रोडमैप कहा और उन्होंने देश के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने ये टिप्पणी गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बजट की अभूतपूर्व पहलों की सराहना की, विशेष रूप से तकनीकी नवाचार एवं ऊर्जा स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रीत करने के लिए। उन्होंने परमाणु उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देने के ऐतिहासिक निर्णय पर प्रकाश डालते हुए इसे देश के ऊर्जा क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर कहा। उन्होंने कहा कि ये निर्णय न केवल देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे बल्कि भारत को 2047 तक उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने के लिए भी प्रेरित करेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा को भारत की ऊर्जा रणनीति के एक स्तंभ के रूप में स्थापित करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया। “विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन” की शुरुआत घरेलू परमाणु क्षमता बढ़ाने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने एवं उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों को लागू करने के लिए एक व्यापक योजना को रेखांकित करती है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) में अनुसंधान एवं विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये का एक महत्वपूर्ण आवंटन किया गया है, जिसका लक्ष्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किए गए एसएमआर को संचालित करता है। यह पहल भारत के 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने एवं सतत ऊर्जा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की सफलता पर विचार करते हुए आशा व्यक्त किया कि परमाणु क्षेत्र में इस प्रकार के सुधारों से विकास एवं नवाचार में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि दशकों से, परमाणु उद्योग कड़े नियमों के अंतर्गत संचालित हो रहा था, लेकिन हाल के नीतिगत बदलावों का उद्देश्य ज्यादा पारदर्शिता लाना एवं सहयोग को बढ़ावा देना है, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।