केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री (एमओपीएसडब्ल्यू) सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार के बेतिया में कालूघाट अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल और दो सामुदायिक घाटों का उद्घाटन किया, जो बिहार के परिवहन व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण क्षण है। इस समारोह में श्री विजय कुमार सिन्हा, उपमुख्यमंत्री, बिहार; राजीव प्रताप रूडी, संसद सदस्य, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।
बिहार के सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी तट पर महत्वपूर्ण रूप से स्थित कालूघाट, क्षेत्र के परिवहन नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-19 तक अपनी सीधी पहुंच के साथ, टर्मिनल कार्गो आवाजाही के लिए, विशेष रूप से रक्सौल और उत्तरी बिहार के भीतरी इलाकों के माध्यम से नेपाल जाने वाले शिपमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क के रूप में कार्य करता है। 82.48 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस टर्मिनल के बुनियादी ढांचे में वार्षिक 77,000 टीईयू की क्षमता के साथ 125 मीटर x 30 मीटर बर्थ शामिल है। कालूघाट टर्मिनल का राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-19 के साथ सीधा सड़क संपर्क होगा और यह उत्तरी बिहार के भीतरी इलाकों से आने वाले या गंतव्य के लिए जाने वाले कार्गो के परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान पर है।
उद्घाटन समारोह के दौरान सोनोवाल ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में, राष्ट्रीय जलमार्गों पर चार मल्टी-मॉडल टर्मिनल विकसित किए गए हैं जिनमें एमएमटी वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया और कालूघाट शामिल हैं। हमारे तीन पड़ोसी देश, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जलमार्ग से जुड़ गए हैं जिससे क्षेत्रीय व्यापार में वृद्धि हुई है। 86 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के आज हुए उद्घाटन से माल और यात्रियों के बेहतर और सुगम परिवहन के माध्यम से बिहार के नदी समुदाय में सर्वांगीण आर्थिक समृद्धि आएगी।”
इसके अलावा, राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-37 के माध्यम से नेपाल और भारत को जोड़ने के लिए गंडक नदी पर मंगलपुर और बेतिया में फ्लोटिंग पोंटून घाट स्थापित किए गए हैं, जो 3.33 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार हुआ है। ये घाट विभिन्न वस्तुओं के उत्पादकों के लिए बाजार तक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि करेंगे, जिससे क्षेत्र में आर्थिक आदान-प्रदान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा, ‘ये परियोजनाएं बिहार के परिवहन बुनियादी ढांचे में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं और समावेशी विकास के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं।’
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, जल मार्ग विकास परियोजना के एक भाग के रूप में, भारतीय अंतर्गेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने नौवहन के निर्माण के साथ साथ कार्गो हैंडलिंग, निर्बाध नौवहन के लिए फ़ेयरवे विकास करना, रात्रि नौवहन और आरआईएस सुविधाओं के प्रावधान के लिए मल्टीमॉडल टर्मिनलों (एमएमटीएस) और इंटरमॉडल टर्मिनलों (आईएमटीएस) के निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (आईडब्ल्यूटी) ईकोसिस्टम के विकास की शुरुआत की। सरकार राष्ट्रीय जलमार्गों को परिवहन के एक व्यवहार्य, संपन्न साधन के रूप में विकसित करने के लिए, विशेष रूप से कार्गो के लिए, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और भारतीय उद्योग बनाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। परिचालन जलमार्गों की संख्या वर्ष 2014 में 05 से बढ़कर वर्तमान में 23 हो गई है। राष्ट्रीय जलमार्गों पर माल की आवाजाही अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 126.15 मिलियन टन हो गई है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 108.79 मिलियन टन थी, जिसमें 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का सागरमाला कार्यक्रम 14,500 किलोमीटर संभावित नौवहन योग्य जलमार्गों का उपयोग कर रहा हैसागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत जलमार्गों की क्षमता को उजागर करने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अंतर्गत 111 (5 मौजूदा और 106 नए) राष्ट्रीय जलमार्गों (एनडब्ल्यू) की घोषणा शामिल है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या I; असम में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2; केरल में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-3 में पहले से ही कार्गो लदान के लिए मशीनीकृत उपकरण हैंडलिंग सुविधाओं के साथ फेयरवे नेविगेशनल सहायता, घाटों और टर्मिनल को विकसित किए गए हैं। ये जलमार्ग चालू हैं और इन पर जहाज़ों का आवागम जारी है। इसके अलावा, राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-10 (नदी अंबा), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-68 (नदी मांडोवी), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-73 (नर्मदा नदी), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-83 (राजपुरी क्रीक), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-85 (रेवदंडा क्रीक- कुंडलिकरीवर सिस्टम), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-91 ( शास्त्री नदी-जयगढ़ क्रीक प्रणाली), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-97 (सुंदरबन जलमार्ग), राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-100 (ताप्ती नदी) और राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-111 (जुआरी नदी) चालू हैं।
सरकार ने व्यापक समुद्री भारत परिकल्पना (एमआईवी)-2030 के हिस्से के रूप में अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) की हिस्सेदारी को 5 प्रतिशत तक बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजनाओं की रूपरेखा तैयार की है। अमृत काल परिकल्पना-2047 का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 50 जलमार्गों को चालू करना है, जिससे देश भर में कुशल परिवहन नेटवर्क की सुविधा मिल सके।