भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 (3) के तहत, पशुधन के परिरक्षण, संरक्षण और सुधार से संबंधित मामले, जीव-जंतुओं के रोगों का निवारण और पशु चिकित्सा प्रशिक्षण राज्य सूची के अंतर्गत आते हैं, जो राज्यों को अनन्य विधायी शक्तियां प्रदान करते हैं। इसके अलावा, अनुच्छेद 243 (ब) स्थानीय निकायों को गोपशु अहातों और पिंजरापोलों के प्रबंधन का उत्तरदायित्व सौंपता है। राज्य आवारा गोपशुओं को रखने के लिए पंचायतों को गोपशु अहाते (कांजी गृह) अथवा गौशाला आश्रय गृहों को सामुदायिक संपत्ति के रूप में स्थापित करने और चलाने के लिए सक्षम बनाएंगे। कई राज्यों ने पहले ही ऐसे पशुओं की देखभाल और चारे के लिए गौशालाएं और आश्रय गृह स्थापित कर दिये हैं।
पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा क्रियान्वित राष्ट्रीय गोकुल मिशन कृत्रिम गर्भाधान में सेक्स-सॉर्टेड वीर्य तकनीक को बढ़ावा दे रहा है, जिसका उद्देश्य समय के साथ नर गोपशुओं की संख्या को कम करना है। अनुत्पादक मादा पशुओं को भी भ्रूण हस्तांतरण तकनीक के माध्यम से बछियों के उत्पादन के लिए सरोगेट माताओं के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) आश्रय गृहों, पशुओं के बचाव और उपचार के लिए एम्बुलेंस सेवाओं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता के लिए निधियां भी प्रदान करता है।
आवारा पशुओं का प्रबंधन मुख्य रूप से गौशालाओं, पिंजरा पोल, कांजी हाउस और गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया जाता है। इनके रखरखाव के लिए निधियां इन संगठनों से प्राप्त होती हैं तथा कुछ राज्य बजटीय सहायता या विशेष करों के माध्यम से इसे पूरा करते हैं।
राज्य सरकारें, अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत, आवारा पशुओं के लिए आश्रय गृह स्थापित करने में सहायता करती हैं। भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड (AWBI) भी आश्रय गृह स्थापित करने में मान्यता प्राप्त पशु कल्याण संगठनों की सहायता करता है। इसके अलावा, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (पशुओं के प्रति क्रूरता के निवारण के लिए समितियों की स्थापना और विनियमन) नियम, 2001 के तहत अस्पतालों और आश्रय गृहों के लिए भूमि और सुविधाएं आवंटित करने के लिए दिनांक 27.03.2023 के पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया था।
यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।