सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विषयों पर बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण करता है। ये सर्वेक्षण या तो परिवार आधारित सर्वेक्षण होते हैं, जहां गणना की प्राथमिक इकाई एक परिवार होता है या उद्यम आधारित सर्वेक्षण होते हैं, जहां गणना की प्राथमिक इकाई एक उद्यम होता है। ये सर्वेक्षण विभिन्न विशेषज्ञ समूहों और समितियों की सिफारिशों के आधार पर विभिन्न हितधारक मंत्रालयों और विभागों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। घरेलू सर्वेक्षण मुख्य रूप से ऐसी जानकारी एकत्र करते हैं जो प्रशासनिक रिकॉर्ड या डोमेन-विशिष्ट मंत्रालयों या विभागों के किए गए सर्वेक्षणों के जरिए उपलब्ध नहीं होती है।
ये सर्वेक्षण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंप्यूटर असिस्टेड पर्सनल इंटरव्यू (सीएपीआई) या वेब-आधारित एप्लिकेशन का उपयोग करके इन-बिल्ट सत्यापन तंत्र के साथ डेटा संग्रह के चरण में अनुरूपता सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं। एकत्र किए गए डेटा की पर्यवेक्षी स्तर के अधिकारी असंगतता की पहचान करने के लिए पूरी तरह से जांच करते हैं, यदि कोई हो और उसके बाद आवश्यक स्पष्टीकरण प्राप्त किए जाते हैं/सुधार किए जाते हैं। सर्वेक्षण प्रक्रिया की निगरानी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाती है। किसी भी सर्वेक्षण के शुरू होने से पहले, इसमें शामिल अधिकारियों को सर्वेक्षण उपकरणों के साथ-साथ सीएपीआईके उपयोग पर व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। सर्वेक्षण के दौरान अधिकारियों के उठाए गए प्रश्नों पर नियमित आधार पर स्पष्टीकरण भी दिए जाते हैं। इसके अलावा, वैचारिक प्रश्नों का हल निकालने और समय-समय पर सर्वेक्षण डेटा गुणवत्ता की निगरानी के लिए डेटा गुणवत्ता कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा, कार्य, प्रयास आदि के दोहराव से बचने के लिए संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ परामर्श किया जाता है।
डेटा उपयोगकर्ताओं के साथ नियमित संवाद आयोजित किए जाते हैं ताकि मंत्रालय/विभाग अतिरिक्त डेटा कवरेज और प्रकटीकरण जरूरतों पर उनकी प्रतिक्रिया को शामिल कर सकें। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय नमूना सर्वेक्षणों के परिणाम जारी होने के बाद डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन आयोजित करता है, जिसका उद्देश्य हितधारकों को शामिल करना और सर्वेक्षण के निष्कर्षों की समझ को बढ़ाना है, जिसमें डेटा एक्सेस, व्याख्या, उपयोगकर्ता की जरूरतों और सर्वेक्षण पद्धति पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसके अलावा, सर्वेक्षण नतीजों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, सर्वेक्षणों के यूनिट स्तर के डेटा को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाता है ताकि विभिन्न शोधकर्ता, नीति निर्माता आदि देश के डेटा को बेहतर ढंग से समझ सकें, उनका विश्लेषण कर सकें और संभावनाओं का पता लगा सकें।
यह जानकारी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संस्कृति राज्य मंत्री श्री राव इंद्रजीत सिंह ने आज राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी।