एनएचआरसी, भारत नीति आयोग तथा स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय द्वारा समर्थित सांकला फाउंडेशन के साथ 6 सितम्‍बर 2024 को आईएचसी, नई दिल्ली में ‘हेल्थकेयर तक सार्वभौमिक पहुंच: डिजिटल समाधान’ पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत, नीति आयोग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समर्थित सांकला फाउंडेशन के सहयोग से 6 सितम्‍बर 2024 को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में ‘हेल्थकेयर तक सार्वभौमिक पहुंच: डिजिटल समाधान’ पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। सम्मेलन का उद्देश्य चिकित्सकों, सरकारी अधिकारियों, अग्रणी विशेषज्ञों, नवप्रवर्तकों और नीति निर्माताओं विशेष रूप से ग्रामीण, दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए आगे बढ़ने का रास्ता तलाशने हेतु स्वास्थ्य सेवाएं और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में को एक साथ लाना है।

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नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा मुख्य भाषण देंगे। वे तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता भी करेंगे। श्री भरत लाल, महासचिव, एनएचआरसी, भारत इस सम्मेलन के आयोजन और भविष्‍य की चुनौतियों के संदर्भ में जानकारी देंगे। सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तिों में डॉ. राजीव बहल, महानिदेशक, आईसीएमआर; श्री एस कृष्णना, सचिव, एमईआईटीवाई, श्री सी. के. मिश्रा, पूर्व सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय; श्री लव अग्रवाल, सुश्री देबजानी घसोह, डॉ. मनोहर अगनानी, सुश्री एल एस चांगसन, सीईओ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, श्री मधुकर कुमार भगत, संयुक्त सचिव (ई-स्वास्थ्य), श्री शशांक एन.डी., अध्यक्ष, डिजिटल स्वास्थ्य समिति (सीआईआई) और प्रैक्टो के सह-संस्थापक और सीईओ; श्री गिरीश कृष्णमूर्ति, सीईओ और प्रबंध निदेशक, टाटा एमडी और नागरिक समाज और स्टार्ट-अप के कई नवप्रवर्तक शामिल हैं।

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सम्मेलन के दौरान डब्ल्यूएचओ, यूएनडीपी और राज्यों के डोमेन विशेषज्ञ भी अपने अनुभव साझा करेंगे। सम्मेलन में तीन तकनीकी सत्र होंगे – ‘हेल्थकेयर में बदलाव के मॉडल’, ‘डिजिटल स्वास्थ्य में भविष्य की सीमाएं, और ‘प्रौद्योगिकी-सक्षम सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज।’ तकनीकी सत्रों के अलावा, सांकला फाउंडेशन द्वारा किए गए शोध और क्षेत्र अध्ययन पर आधारित ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए डिजिटल समाधान का लाभ उठाने’ पर एक रिपोर्ट भी जारी की जाएगी। चूँकि सरकार ने सभी के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की हैं, अब समय आ गया है कि सभी हितधारक एक साथ बैठें, अपने अनुभव साझा करें और सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए सामूहिक कार्रवाई का रास्ता खोजें। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी छूट न जाए और सभी के मानव अधिकार सुरक्षित रहें।

स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक पहुंच भी एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में उभरी है, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में प्रौद्योगिकी के उपयोग का पक्षधर है। कोविड-19 महामारी के दौरान, आयोग ने मानव अधिकारों के संरक्षण और देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कई परामर्शियां जारी की थी।

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इस सम्मेलन के माध्‍यम से सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाने के लिए अपनी स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में सुधार करने में भारत द्वारा की गई प्रभावशाली प्रगति और इस दृष्टिकोण को दूर-दराज के क्षेत्रों में डिजिटल रूप से बेहतर तरीके से कैसे लागू किया जा सकता है, पर विचार विमर्श किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु, बच्चे और किशोर स्वास्थ्य और पोषण स्थिति (आरएमएनसीएचए+एन) में सुधार करने से महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्‍त हुए हैं।

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भारत ने वर्ष 2030 तक यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) के तहत सुलभ और सस्ती गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार ने मानव संसाधन के प्रशिक्षण सहित प्राथमिक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। प्रौद्योगिकी का उपयोग कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और वंचितों तक पहुंचने के लिए किया जा रहा है और इसमें स्वास्थ्य देखभाल वितरण में गेम चेंजर बनने की क्षमता है।

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