बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुई हिंसा अब चरम सीमा पर पहुंच गई है । ये हिंसा अब अराजकता में बदल गई है । सरकार विरोधी यह आंदोलन अब हिन्दुओं के खिलाफ शुरू हो गया है । जानबूझकर हिन्दुओं को निशाना बनाना और खुलेआम उनकी हत्या करना, हिन्दू घरों पर हमला करना, हिन्दू दुकानों को लूटना, हिन्दू मंदिरों को तोडना और जलाना, हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार करना, हिन्दुओं को विस्थापित करना आदि अत्याचार किए जा रहे हैं । इन बातों से वहां के अल्पसंख्यक हिन्दुओं में काफी डर का माहौल है । इस संदर्भ में, भले ही बांग्लादेश सेना ने हिन्दुओं की रक्षा करने का वादा किया है, भारत सरकार को उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए और हिन्दू समुदाय और मंदिरों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है ।
बांग्लादेश में हिंसा के मद्देनजर हिन्दू जनजागृति समिति ने निम्नलिखित मांगें की हैं । सबसे पहले बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमले, घरों की लूटपाट, मंदिरों पर हमले, मूर्तियों को तोड़ना, महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए वहां के सैन्य बलों को सख्त निर्देश दिए जाने चाहिए । बांग्लादेश में हिन्दुओं पर बढते हमलों को देखते हुए वहां के हिन्दुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए और उन्हें तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए । वहां के हिन्दुओं के जान-माल के नुकसान की तुरंत भरपाई की जानी चाहिए । भारत सरकार को तुरंत इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधिमंडल के बांग्लादेश दौरे की मांग करनी चाहिए । बांग्लादेश में चल रही हिंसा के कारण जो हिन्दू वहां से विस्थापित होकर भारत में शरण चाहते हैं, उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) के माध्यम से शरण दी जानी चाहिए । साथ ही इससे पूर्व करीब 5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में घुस चुके हैं, इस घटना के बाद यह घुसपैठ फिर से बढने की आशंका को देखते हुए भारतीय सीमा पर कठोर बंदोबस्त किया जाए ।
बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के जो भयानक वीडियो ‘सोशल मीडिया’ के जरिए सामने आ रहे हैं, उससे अगर भारत सरकार ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो आशंका है कि बांग्लादेश दूसरा पाकिस्तान बन जाएगा । इस स्थान पर हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार होने की आशंका है । इस घटना के बाद ऐसी आशंका है कि कट्टर जिहादी आतंकवादियों का मनोबल बढेगा और वे अपने छिपे हुए समर्थकों की मदद से भारत में भी हिंसा को अंजाम देंगे । इसलिए भारतीय पुलिस व्यवस्था, प्रशासन सहित सभी भारतीयों को सतर्क रहना चाहिए । साथ ही समिति ने कहा है कि आत्मरक्षा के लिए तैयार रहने की भी जरूरत है ।