केन्‍द्र ने कपड़ा क्षेत्र में निर्यात, उत्पादन और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल की

सरकार ने कपड़ा क्षेत्र में निर्यात, उत्पादन और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए 2019 से अनेक पहल/उपाय किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं:

सरकार ने 2027-28 तक सात वर्षों की अवधि के लिए 4,445 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड साइटों में सात प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी है। पीएम मित्र पार्क तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थापित किए जा रहे हैं।

सरकार देश में एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक्स और तकनीकी वस्त्र उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 10,683 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ वस्त्र उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को लागू कर रही है ताकि वस्त्र क्षेत्र को आकार और पैमाने हासिल करने और प्रतिस्पर्धी बनने में सक्षम बनाया जा सके। पीएलआई योजना के तहत 73 कंपनियों का चयन किया गया है।

कपड़ा क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए परिधान/वस्त्र और मेड-अप के निर्यात के लिए राज्य और केन्‍द्रीय करों और शुल्कों में छूट (आरओएससीटीएल) की योजना लागू की जा रही है।

सरकार ने तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान और नवाचार के लिए 1,480 करोड़ रुपये का परिव्यय आवंटित किया है। अब तक 137 अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 49 को वर्ष 2023-24 में मंजूरी दी गई है।

समर्थ योजना के तहत अब तक 3.27 लाख लाभार्थियों को कौशल विकास प्रदान किया गया है, जिनमें से 1.33 लाख लाभार्थियों को 2023-24 में कौशल प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है।

रेशम उद्योग के समग्र विकास के लिए रेशम समग्र-2 को 19.01.2022 से लागू किया जा रहा है। रेशम समग्र-2 योजना में शहतूत, वन्य और पोस्ट-कोकून क्षेत्रों के तहत विभिन्न घटक और उप-घटक शामिल हैं। यह कार्यक्रम विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के अलावा कच्चे रेशम की गुणवत्ता, उत्पादकता और उत्पादन में सुधार के लिए राज्य सरकारों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के प्रयासों को समन्वित करता है।

राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत पात्र हथकरघा एजेंसियों/बुनकरों को कच्चा माल, उन्नत करघे और सहायक उपकरण की खरीद, सौर प्रकाश इकाइयों, कार्यशाला निर्माण, कौशल विकास, उत्पाद और डिजाइन विकास, तकनीकी और सामान्य बुनियादी ढांचे, घरेलू/विदेशी बाजारों में हथकरघा उत्पादों के विपणन, बुनकरों की मुद्रा योजना के अंतर्गत रियायती ऋण, छात्रवृत्ति और सामाजिक सुरक्षा आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

कच्चा माल आपूर्ति योजना (आरएमएसएस) के तहत पात्र हथकरघा बुनकरों को सब्सिडी दरों पर गुणवत्तापूर्ण धागा और उनके मिश्रण उपलब्ध कराए जाते हैं। इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-2024 के दौरान कुल 340 लाख किलोग्राम धागा आपूर्ति किया गया है।

राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना के तहत, कारीगरों को विपणन सहायता, डिजाइन कार्यक्रम के माध्यम से कौशल विकास, प्रशिक्षण कार्यक्रम, क्लस्टर विकास, कारीगरों को प्रत्यक्ष लाभ, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी सहायता और अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है।

यह जानकारी केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्री पबित्र मार्गेरिटा ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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