चंदौली (यूपी) सरकार के लाख प्रयास के बावजूद भी भ्रष्ट अधिकारियों के कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामे से सरकार की साख पर भी बट्टा लग रहा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय चंदौली में बाबुओं और अधिकारियों की भ्रष्ट आचरण से भ्रष्टाचार भी शर्मिंदा हो गया है। जिनके ऊपर देश के भावी भविष्य को शिक्षित करने की जिम्मेदारी है वही भ्रष्टाचार के संवाहक बने हुए है। मामला जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का है जहा एक दो लाख नही बल्कि 1करोड़ 42 लाख 84 हजार रुपए से ज्यादा का घालमेल के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने जिलाधिकारी से आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब किया है। बता दे कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को विद्यालय का निरीक्षण करने के लिए टारगेट निर्धारित किया है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के अलावा समस्त खंड शिक्षा अधिकारी एवं जिला समन्यवक के लिए गाड़ी उपलब्ध कराई है। गाड़ी पीपीपी माडल पर उपलब्ध कराने के लिए दिशा निर्देश जारी हुआ। जिसके तहत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कराया गया। मेसर्स राहुल ट्रवेल्स मानक को पूर्ण करते हुए कागजात जमा कर दिया। आरोप है कि जब मानक के अनुरूप गाड़ी उपलब्ध कराना हुए तब ट्रेवल्स एजेंसी का मालिक कन्नी काटने लगा। बिना मानक के एक गाड़ी एक दो दिन के लिए खड़ा कराया गया। इसके बाद भ्रष्ट बाबुओं/ अधिकारियों ने ऐसा गुड़ा – गणित सेट किया कि गाडियां कागजों पर सरपट दौड़ते लगी। उधर विभाग पेमेंट करता रहा। चार वर्ष में बिना गाड़ी चलाए ही। बीएसए कार्यालय ने 1 करोड़ 42 लाख 84 हजार का भुगतान कर दिया।
मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण की शिकायत अयोग में भेजकर उचित कार्यवाही करने एवं भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर कठोरतम कार्यवाही करने के लिए अनुरोध किया था। अयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी को आठ सप्ताह के भीतर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ जिला धिकारी को की गई कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी सख्त निर्देश जारी किया है।