राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने 5 जुलाई 2024 को आई एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले के सरस्वती विहार इलाके से 09 लड़कियों तथा 14 लड़कों सहित 23 बाल मजदूरों को छुड़ाया गया। कथित तौर पर, उन्हें आसपास के राज्यों से दिल्ली लाया गया था और वे विभिन्न कारखानों में काम कर रहे थे।
आयोग ने पाया है कि यदि समाचार रिपोर्ट की सामग्री सही है, तो यह बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाती है। 2016 में संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 घरेलू मदद सहित किसी भी क्षमता में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। इस अधिनियम के तहत किसी बच्चे को कामगार/श्रमिक के रूप में नियुक्ति एक दंडनीय अपराध है। तदनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और पुलिस आयुक्त, दिल्ली को दो सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है।
जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), उत्तर पश्चिम दिल्ली को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई कार्रवाई, उनके पुनर्वास और उनके संबंधित परिवारों के साथ पुनर्मिलन के साथ-साथ उनकी शिक्षा को जारी रखने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। उत्तर पश्चिम दिल्ली के डीएम से यह भी अपेक्षा की जाती है कि यदि किसी बाल श्रमिक को बंधुआ बनाकर रखा जा रहा है, तो की गई कानूनी कार्रवाई के बारे में भी सूचित करें।
इससे पहले भी, आयोग को ऐसी शिकायतें/समाचार रिपोर्टें मिली थीं, जिनमें राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न हिस्सों में चल रहे कारखानों के मालिकों द्वारा श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। इसे देखते हुए, आयोग ऐसे दोषी नियोक्ताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहेगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एक सर्वेक्षण करवाने की आवश्यकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या और भी ऐसी औद्योगिक इकाइयाँ हैं, जहाँ बच्चों से मज़दूरी कराई जा रही है तथा उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।