एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की एक ग्राम पंचायत द्वारा कथित तौर पर एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता के परिवार को 5 हजार रुपये लेने तथा उसे गर्भपात करवाने की पेशकश करने की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के सिंघावली अहीर क्षेत्र में एक ग्राम पंचायत ने यौन उत्पीड़न की शिकार एक नाबालिग लड़की की मां को उसकी बेटी को प्रताड़ित करने वालों से पांच हजार रुपये लेने तथा उसका गर्भपात करवाने के लिए कहा। कथित तौर पर, बदमाशों के इशारे पर पीड़ित परिवार को पंचायत के आदेश का पालन नहीं करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई थी।

आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो यह पीड़िता के मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह देखना वास्तव में दर्दनाक है कि ग्राम पंचायत ने नाबालिग लड़की की रक्षा करने के बजाय समाज के एक साधन संपन्न वर्ग के बदमाशों के साथ मिलकर एक गैरकानूनी कृत्य किया।

तदनुसार, आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में एफआईआर की स्थिति और दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ-साथ पीड़िता की स्वास्थ्य स्थिति और संबंधित अधिकारियों द्वारा उसे प्रदान किया गया मुआवजा, यदि कोई हो, शामिल होना चाहिए।

दिनांक 19 जून, 2024 को आई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के परिवार ने पुलिस में शिकायत की है कि उसी गांव का एक व्यक्ति दिसंबर, 2023 में उनके घर में जबरदस्ती घुस आया और उसके साथ बलात्कार किया। जब परिवार ने शिकायत करने की कोशिश की तो पीड़ित लड़की की मां, भाई और बहन को जान से मारने की धमकी दी गई। इसके बाद दरिंदे ने पीड़िता के साथ पांच से छह बार दुष्कर्म किया, जिससे वह गर्भवती हो गयी। जब पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया, तो उन्हें रोक दिया गया और पंचायत में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया, जहां कथित तौर पर उस परिवार को 5,000/- रुपये की पेशकश की थी।

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