विंग ऑफ विजडम फाउंडेशन ने बालश्रम निषेध पर किया बेविनार का आयोजन किया

भुवनेश्वर: पूरी दुनिया के लिए बाल श्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। विभिन्न देशों द्वारा बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिए समय समय पर विभिन्न प्रकार के कदम उठाए गए है। इस क्रम में दुनिया भर में बाल श्रम की क्रूरता को समाप्त करने के लिए हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। चूंकि आज 12 जून है, विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर, विंग ऑफ विजडम फाउंडेशन ने यूनाइटेड स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, भुवनेश्वर के साथ मिलकर प्रतिभागियों के ज्ञान को बढ़ाने और भारत में बाल श्रम की जंजीरों को तोड़ने के लिए आन लाइन वेबिनार का आयोजन किया गया।

वेबिनार का उद्घाटन यूनाइटेड स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के प्रिंसिपल डॉक्टर संजीव कुमार दास के स्वागत भाषण के साथ हुआ। डॉक्टर संजीव कुमार दास ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि हमे अपने बच्चो को बढ़ाने और फलने – फूलने की जरूरत है। हम सभी को बाल श्रम के क्रूर चक्र को समाप्त करना होगा और उनके बचपन की रक्षा करना होगा। इस वर्ष की थीम है : आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करे: बाल श्रम को समाप्त करे। वेबिनार में डॉक्टर के, कृष्णन विंग्स ऑफ विजडम फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य, फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (FSD)के कार्यकारी निदेशक और राष्ट्रीय आदिवासी एकजुटता परिषद के संयोजक ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल तस्करी और भिक्षावृत्ति के मुद्दे पर चर्चा की। कृष्णन बत्तीस वर्षो से अधिक समय से सामाजिक वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत है। वही अनिल कुमार परासर निवर्तमान ज्वाइंट रजिस्ट्रार (लॉ) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली,तथा मानवाधिकार सी डब्लू ए के राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक एवं विंग ऑफ विजडम फाउंडेशन के वरिष्ठ सलाहकार ने मानव अधिकार के क्षेत्र में पूरे देश में किए गए सराहीय कार्य के अपने अनुभव को साझा किया।

अनिल कुमार परासर को मानव अधिकार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ मिश्र मोमोरियल अवार्ड एवं जस्टिस वी आर कृष्णन अय्यर सेंटेनरी अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। परासर ने मानव अधिकार के क्षेत्र में ह्यूमन राइट सी डब्लू ए नामक संस्था स्थापित कर पीड़ित परिवार को करोड़ों रुपए मुवावज दिलवा चुके है। कार्यक्रम में मुंबई के एटलस स्किलटेक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर वे पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा बाल श्रम पर राष्ट्रीय नीति के मूल्यांकन पर स्थाई समिति की रिपोर्ट पर प्रकाश डाला। वेबीनार में जतिन खुराना, श्रीमती कांटा मोहंती ने भी बालश्रम पर प्रकाश डाला। वही वक्ताओं ने कहा कि अब बाल श्रम खत्म करने का समय आ गया है। विंग ऑफ विजडम फाउंडेशन ने आज एक अभियान शुरू किया है “हर बच्चे की मुस्कान”। विंग ऑफ विजडम फाउंडेशन की सस्थापक और सीईओ श्री मती अनुजा नाईक ने बाल श्रम निषेध दिवस पर संदेश भी साझा किया।

उन्होंने अपने संदेश में कहा कि विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आइए हम इस अपराध के खिलाफ हाथ मिलाए जो बच्चो की खुशी को खत्म कर देता है। उनके बचपन को बर्बाद न होने दे क्योंकि हर बच्चे को शिक्षा और खेलने का समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें किताबे दे, जिम्मेदारियां नही क्योंकि हर बच्चे को शिक्षा और खेलने का समय मिलना चाहिए। क्योंकि छोटे हाथ कलम और खिलौने पकड़ने के लिए बने है। “उन्हे ऐसी चीजे न पकड़ने दे जो वयस्को के लिए बनाई गई है”।

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