तपोभूमि मारवाड़ी क्लब शिवमहापुराण प्रवचन में भक्तों की भीड़ दिनों-दिन बढ़ती जारही
नन्द किशोर जोशी, एक्जिक्यूटिव एडिटर क्रांति ओडिशा मीडिया सातवीं कड़ी
आप सभी भक्तों को मैंने अभी तक प्रारंभिक जानकारी दी है कि कैसे १९५० में ओडिशा में प्रथम श्रीरामचरितमानस नवान्हपारायण सामूहिक पाठ का शुभारंभ हुआ था माणिक घोष बाजार, मारवाड़ी क्लब में।
उस समय गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीरामचरितमानस की केवल एक ही पुस्तक कटक में मिली थी। फिर कोलकाता से पुस्तकें मंगाई गई थी।आज की जैसी सुंदर व्यवस्था उस जमाने में नहीं थी।
अब मैं कल के शिवमहापुराण प्रवचन प्रसंग पर लिख रहा हूं।कल प्रवचन में बालव्यास पंडित श्रीकांत शर्मा बोले कि शिव हमारे अंदर ही विराजमान हैं। दीमक हमें खोखला बना देती है। संसार में मेरी तेरी करना तो दीमक की तरह है। दीमक रुपी वृक्ष को जीवन से हटाइये।
गीता शिवपुराण के श्लोकों से भरी हुई है। गीता में भगवान बोले कि मैं ही तो सबकुछ हूं,मेरे अलावा क्या है संसार में।अब आंख मिचौली का खेल चल रहा है।छोटी छोटी बुराई रुपी दीमक जीवन को खोखला करती है।आपसी मेलजोल खत्म करती है।
पानी की धारा लगातार गिरते रहने से चट्टान को भी टूटना होता है।शिव के लिंग पर श्रृंगी से जल धार चढाते रहिये।धार टूटने नहीं चाहिए।करत करत अभ्यास जडमत होय सुजान।एक दिन अग्यान का पत्थर हट जाता है।

ब्रह्मा, विष्णु महादेव के चरणों में गिर पड़े।उनको शिवजी ने गुरुमंत्र दिया।जो अंधेरे को मिटाता है,उसे गुरु कहते हैं।उनके कान में शिवजी ने मंत्र प्रदान किया।शिव के नाम का जाप सदा करते रहना चाहिए।शिव का नाम पाप का नाश करता है। क्रमशः

