ओडिशा का पहला श्रीरामचरितमानस सामूहिक पाठ मारवाड़ी क्लब,कटक में १९५० में
१९५०-२०२५ डायमंड जुबली
नन्द किशोर जोशी, एक्जिक्यूटिव एडिटर क्रांति ओडिशा मीडिया
तीसरी कड़ी
मैंने कल १९५० में कटक मारवाड़ी क्लब में ओडिशा का सर्वप्रथम श्रीरामचरितमानस नवान्हपारायण सामूहिक पाठ के बारे में संक्षिप्त में लिखा था। आयोजकों के बारे में लिखा था,आज के दिन आयोजक सारे स्वर्गीय हैं।यह साल मारवाड़ी क्लब में श्रीरामचरितमानस नवान्हपारायण सामूहिक पाठ का ७५ वां साल है।इसका मतलब है कि यह साल यहां ७५ वां साल है , अर्थात डायमंड जुबली साल है सामूहिक पाठ का।
मैंने सामूहिक पाठ में पाठ करते हुए मेरी और ओमप्रकाश नांगलिया की फोटो डाली है।हमलोग पंडाल में जहां बैठकर श्रीरामचरितमानस पाठ कर रहे थे , वहीं ठीक मेरे पीछे तख्ते पर जो पाठक बैठे थे ,उसी एक नंबर सीट पर मेरे दादाजी स्वर्गीय जोहरीमल जोशी बैठ कर ९ दिन पाठ किया करते थे।
तब के आयोजक मेरे दादाजी जोहरीमल जोशी को चिट्ठी भेज कर बुलाते थे ।जोहरीमल जी उस समय कटक जिले के बांकी में रहा करते थे।वे चिट्ठी पाकर रामायण में बैठने के लिए कटक अपने मकान में आते थे ,जो माणिक घोष बाजार, मारवाड़ी क्लब के सामने स्थित है।
मैंने देखा है उनके लिए एक नंबर के स्थान पर विशेष आसन रखा होता था।वे कभी ब्रेक के समय उठकर आयोजकों की तरफ से चाय जलपान में नहीं जाते थे।वे कभी पाठ पश्चात कहीं भी जीमने नहीं जाते थे। भोजन केवल अपने माणिक घोष बाजार स्थित घर पर ही किया करते थे।हमने जिस श्रीरामचरितमानस पुस्तक से पाठ किया था,वह धार्मिक पुस्तक करीब करीब प्रारंभ काल की है , अर्थात १९५० के आसपास साल की है।
मेरे साथ फोटो में ओमप्रकाश अग्रवाल दिखाई दे रहे हैं नीचे पाठ करते हुए। उन्होंने जो रामनामी चादर शरीर पर डाली हुई है,वह करीबन ६०-६५ साल पुरानी राम-राम चादर है। यहीं से प्राप्त चादर है। यहां एक ओर बात है कि इनके पिताजी गोवर्धन दास नांगलिया हर साल रामायण में पाठ प्रारंभ के पहले सभी भूदेवों के चरणों को धोया करते थे।उस समय उनके साथ रहते थे रावतमल चौधरी।
आज पाठ में प्रसंग रहा राम सीता विवाह। बहुत हर्षोल्लास के साथ राम सीता विवाह पाठ में संपन्न हुआ। अनेक महिलाएं सज-धजकर आयीं थी।सुंदर नाच गान प्रस्तुत किये। भगवान राम सीता विवाह का आनंद लिये।
व्यासजी बहुत सुंदर भजन राम सीता विवाह पर बोल रहे थे।संग में सारे भूदेव ,सारे भक्त गण भी बोल रहे थे।आज के जजमान हैं लक्ष्मीनारायण कन्हैयालाल जोशी परिवार के सदस्य गण। इनमें प्रमुख हैं चिरंजी लाल जोशी, देवकीनंदन जोशी।


