हिंदू समाज में सती परंपरा मुगलों के शासन काल में आई – इंजीनियर श्याम सुंदर पोद्दार, राष्ट्रीय संयोजक, ऐतिहासिक सती मंदिर बचाओ कमेटी

हिंदुस्तान में कभी भी सती परंपरा नहीं रही। महाभारत में सिर्फ़ एक घटना मिलती है – पाण्डु की मृत्यु पर माद्री ने सह मरण किया। कुंती ने नहीं माद्री ने सह मरण इसलिए किया कि वह स्वयं को पाण्डु की मृत्यु का जिम्मेवार समझती थी। महाभारत व रामायण काल में एक और भी उदाहरण सह-मरण का नही मिलता।

यह परंपरा भारत में इस्लामिक शासन काल में आरम्भ हुई। इस्लाम में काफ़िर की स्त्री को माले गनीमत यानी लूट का माल कहा गया है। इसके वितरण की भी इस्लाम में व्यवस्था है। २० प्रतिशत ख़लीफ़ा यानी राजा को व शेष सैनिकों में बाट दी जाती थी। काफ़िरो की स्त्रियां मिलेगी, इसी लिए इस्लाम के विस्तार के लिए सैनिक लड़ते थे। हिंदू धर्म में सात जन्म का साथ व पुनर्जन्म की भावना काम करती है।

इसलिए हिंदू स्त्रियां जहर खा कर आत्म हत्या करने लगी। तब फतवा जारी किया गया कि हिंदू स्त्री की लाश को बलात्कार करना बहुत बड़ा धर्म है। यही से हिंदू स्त्रिया अग्नि स्नान करके अपने प्राण देने लगी। ताकि मुस्लिम सैनिकों को उनकी लाश भी नहीं मिले।

अग्नि स्नान करने वाली हिंदू महिला को सती सम्मान के नाम से सम्मानित किया जाता। सामूहिक अग्नि स्नान को जौहर कहा जाता। इस्लाम का जहाँ-जहाँ राज हुआ, वहाँ पुरानी धर्म-संस्कृति समाप्त हो गयी। इस्लाम पूर्णत प्रतिष्ठित हों गया। हिंदुस्तान में सतियों के चलते इस्लाम हार गया व हिंदू धर्म बच गया।

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