केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने नई दिल्ली में 20वें वैश्विक स्थिरता शिखर सम्मेलन को संबोधित किया

सीआईआई– आईटीसी सतत विकास उत्कृष्टता केंद्र द्वारा नई दिल्ली में आयोजित 20वें वैश्विक स्थिरता शिखर सम्मेलन मेंकेंद्रीय पर्यावरणवन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री,  भूपेंद्र यादव ने लचीलेपुनर्योजी और उत्तरदायी विकास की दिशा में भारत की यात्रा का वर्णन किया। इस अवसर पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआईके महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी और सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष संजीव पुरी उपस्थित थे। इस सम्मेलन में 10 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और उद्योग जगत के दिग्गज शामिल थे।

वैश्विक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, यादव ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत का विकास मॉडल आर्थिक प्रगति और पारिस्थितिक संरक्षण के बीच संतुलन बनाने में गहराई से निहित है। उन्होंने कहा“स्थायित्व को केवल एक लक्ष्य या उद्देश्य नहीं माना जाना चाहिए। मेरा मानना है कि यह एक जीवनशैली विकल्प हैलचीलापुनर्योजी और ज़िम्मेदार बनने की एक उभरती हुई प्रतिबद्धता है।” केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मौजूदा वैश्विक व्यापार तनावनीतिगत अनिश्चितताएँभू– राजनीतिक संघर्ष और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वैश्विक वित्तीय निवेश में बाधाएँ मिलकर एक कमजोर वातावरण का निर्माण करती हैं। केंद्रीय मंत्री,  यादव ने सभी देशों से आह्वान किया कि वे अर्थव्यवस्थाव्यापी समाधानों को अपनाकर स्थिरता को विकास का आधार बनाएँजिसमें वृत्ताकार अर्थव्यवस्था मॉडलप्रकृतिसकारात्मक कार्यहरित विनिर्माण और ज़िम्मेदाराना व्यवहारों के लिए व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना शामिल हो।

यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मेंमंत्रालय ने हाल ही में एक स्थायी भविष्य के निर्माण के उद्देश्य से अत्यंत महत्वपूर्ण अधिसूचनाएँ जारी की हैं। उन्होंने बताया कि 29 अगस्त 2025 कोभारत सरकार ने पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम2025 को अधिसूचित कियाजो पूरे देश में पर्यावरण लेखा परीक्षा के लिए एक औपचारिक ढाँचा तैयार करेगा। इन नियमों के तहत लेखा परीक्षकों की एक द्विस्तरीय प्रणाली स्थापित की जाएगी और इस प्रक्रिया की पारदर्शी निगरानी के लिए एक समर्पित एजेंसी का गठन किया जाएगा। श्री यादव ने कहा“ये नियम सरकार के मौजूदा निगरानी और निरीक्षण ढाँचे के पूरक हैंन कि उसे प्रतिस्थापित करने के लिए।

केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने उपस्थित लोगों को 29 अगस्त 2025 को ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के लिए संशोधित कार्यप्रणाली की अधिसूचना के बारे में भी जानकारी दी। स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए मूल रूप से अक्टूबर 2023 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम को अब ऐसे प्रावधानों के साथ और मज़बूत किया गया है जो निजी संस्थाओं की प्रत्यक्ष भागीदारी की अनुमति देते हैं, न्यूनतम पुनर्स्थापन प्रतिबद्धताएँ स्थापित करते हैं, जलवायु कार्रवाई के लिए निजी पूँजी जुटाते हैं और अर्जित ग्रीन क्रेडिट का उपयोग करते हैं। मंत्री महोदय ने बताया कि संशोधित कार्यप्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम सार्थक पर्यावरणीय पुनर्स्थापन के लिए उत्प्रेरक बने।

इसके अलावा, यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 31 अगस्त 2025 कोमंत्रालय ने नवप्रवर्तित राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन2025 के अंतर्गत महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्यों को सुगम बनाने हेतु वन (संरक्षण एवं संवर्धननियम2023 में संशोधन किया। इस मिशन के अंतर्गत24 खनिजों की पहचान महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक के रूप में की गई है और 29 अन्य को देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। संशोधित नियम सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थाओं के लिए वन क्षेत्रों में इन खनिजों के खनन हेतु अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाते हैं।

भारत की व्यापक स्थिरता उपलब्धियों पर विचार करते हुए, यादव ने कहा कि देश सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और साथ ही जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व भी कर रहा है। उन्होंने कहा, “भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने लक्षित योजना कार्यान्वयन, बुनियादी ढाँचे में निवेश, स्थानीय प्रतिबद्धता और बहुपक्षीय प्रतिबद्धताओं पर महत्वपूर्ण उपलब्धियों के माध्यम से नीतिगत परिदृश्य में सतत विकास को सफलतापूर्वक अपनाया है।”

यादव ने कहा कि भारत की सतत विकास प्रतिबद्धता का एक स्पष्ट प्रमाण पेरिस समझौते के तहत एनडीसी को पूरा करने की दिशा में हुई उल्लेखनीय प्रगति है। हाल की उपलब्धियों में, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करना; नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का त्वरित उपयोग; पर्यावरणीय, सामाजिक और प्रशासनिक संकेतकों के माध्यम से कॉर्पोरेट जवाबदेही को बढ़ावा देना और नवीन अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना शामिल है, जिससे चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत उन अग्रणी देशों में से एक है, जिन्होंने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) का एक मज़बूत ढाँचा स्थापित किया है, जो पर्यावरणीय रूप से स्थायी तरीके से अंतिम उत्पादों का निपटान सुनिश्चित करता है।

वन क्षेत्र के विस्तार, ‘मिशन लाइफ‘, ‘एक पेड़ माँ के नाम‘ जैसे अभिनव अभियानों की शुरुआतकार्बन सिंक को बढ़ाने और चक्रीय अर्थव्यवस्था प्रथाओं को आगे बढ़ाने में भारत की प्रगति की ओर इशारा करते हुए, यादव ने कहा“हमारी स्थायी आर्थिक प्रगति लचीलेपनपुनर्योजी और उत्तरदायित्व पर आधारित है – ऐसे मूल्य जिन्हें दुनिया को अब सतत विकास की नींव के रूप में अपनाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि लचीलेपन के स्तंभ के तहत सबसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों में से एक भारत की राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपीका आगामी शुभारंभ है। उन्होंने कहा“विज्ञान– आधारित साक्ष्यों से प्रेरित और जमीनी हकीकतों से निर्देशितएनएपी विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास नीतियों में अनुकूलन को शामिल करने के लिए एक रूपरेखा के रूप में कार्य करेगीजिससे एक व्यवस्थित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा। यह लचीलेपन के निर्माण और विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रति संवेदनशीलता को कम करने में योगदान देगा।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक सामूहिक वैश्विक रणनीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यादव ने कहा“भारत का नीतिगत रोडमैप और विकास मॉडल इस बात का उदाहरण है कि कैसे राष्ट्र आर्थिक विकास को स्थिरता के साथ सामंजस्य बिठाकर लचीलेकम कार्बन उत्सर्जन वाले विकास के रास्ते विकसित कर सकते हैं। यह एकीकृत दृष्टिकोण वैश्विक दक्षिण के उन देशों के लिए बहुमूल्य सबक प्रदान करता है जो टिकाऊसमावेशी और यथार्थवादी विकास मॉडल की तलाश में हैं। उन्होंने कहा कि विकास में ठहराव का सामना कर रही विकसित अर्थव्यवस्थाएँ अपने विकास प्रतिमानों में परिवर्तनकारी पुनर्संयोजन कर सकती हैं और स्थिरतासामाजिक समानता और स्थायी लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।

केंद्रीय मंत्री यादव ने उद्योग और वैश्विक हितधारकों से इस परिवर्तनकारी यात्रा में मिलकर सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा“उद्योग जगत को पारंपरिक लक्ष्यों से आगे बढ़ना होगा और लचीलेपन व समावेशन की राष्ट्रीय आकांक्षाओं के साथ तालमेल बिठाते हुए अपनी कॉर्पोरेट नीति में स्थिरता को सहजता से शामिल करना होगा। लचीलेपनपुनरुत्थान और उत्तरदायित्व को अपनाकरआइए हम एक अधिक टिकाऊ विश्व की ओर एक मार्ग प्रशस्त करें।यादव ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले दो दिनों मेंशिखर सम्मेलन में उन अग्रणी परिवर्तनकारी मार्गों पर विचार– विमर्श किया जाएगा जो एक समृद्धसमावेशी भविष्य सुनिश्चित करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *