राज्य सिविल सेवाओं से भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग में शामिल और एलबीएसएनएए में 127वें प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे अधिकारियों ने आज (3 जून, 2025) राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों के रूप में उनके प्रयास राज्य-विशिष्ट प्राथमिकताओं पर आधारित थे। वे जमीनी स्तर पर लोगों की भलाई और विकास में सहायक थे और स्थानीय समुदायों से जुड़े मुद्दों से प्रत्यक्ष रूप से निपटते थे। अब भी वे इन मुद्दों का समाधान करेंगे लेकिन उनकी भूमिका और जिम्मेदारियां क्षेत्र एवं जटिलता में और अधिक व्यापक होंगी। वे अब केवल एक क्षेत्र के प्रशासक नहीं हैं – उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर शासन के मानकों का पालन करना होगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उनका कार्य विकसित भारत – 2047 तक एक विकसित भारत के बड़े दृष्टिकोण के अनुरूप होना चाहिए।
श्रीमती मुर्मु ने अधिकारियों से कहा कि समावेशी विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण हो सकता है। उनके प्रयासों को विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि हाशिए पर रह रहे और कमजोर वर्ग के लोग विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में पीछे न छूट जाएं। उन्होंने कहा कि जब गरीब और वंचित लोग विकास तथा समृद्धि का अनुभव करेंगे, तभी हम विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को साकार करने के करीब होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार उनके कार्यों एवं निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सेवा वितरण में सुधार से लेकर डेटा-संचालित निर्णय लेने में सक्षम बनाने में, डिजिटल उपकरण कुशल, पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल शासन प्रणाली बनाने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने अधिकारियों को सलाह दी कि वे एआई, ई-गवर्नेंस और डिजिटल फीडबैक तंत्र में नवाचारों को अपनाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकारी योजनाएं अंतिम छोर तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा को परिभाषित करने वाले मूलभूत मूल्यों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से अपने आचरण में ईमानदारी बनाए रखने, अपने कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जवाबदेही बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने अधिकारियों को सहानुभूति और निष्पक्षता के साथ उनके अधिकारों का प्रयोग करने की सलाह दी।