थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने परिवर्तन के पांच स्तंभों का आह्वान किया, जिसमें प्रौद्योगिकी अवशोषण, संरचनात्मक परिवर्तन, मानव संसाधन विकास और तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बढ़ाना शामिल है

थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने परिवर्तन के पांच स्तंभों का आह्वान किया है, जिनमें प्रौद्योगिकी अवशोषण, संरचनात्मक परिवर्तन, मानव संसाधन विकास और तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बढ़ाना शामिल है। जनरल द्विवेदी ने सिकंदराबाद स्थित रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय (सीडीएम) में उच्च रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम (एचडीएमसी-20) के समापन भाषण में भारतीय सेना को भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू रक्षा बल बनने का समग्र रोडमैप प्रस्तुत किया।

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भविष्य की जटिल चुनौतियों से निपटने में सक्षम तकनीकी रूप से उन्नत, अनुकूलनीय और आत्मनिर्भर सैन्य दल बनने की सेना की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने प्रक्रिया संचालित दृष्टिकोण से परिणाम संचालित मार्ग की तरफ बढ़ने और प्रदर्शन की सीमा से प्रभावशीलता के पैमाने की ओर जाने की आवश्यकता पर बल दिया। सेना प्रमुख ने सेना के परिवर्तनकारी लक्ष्यों के संरेखण को रेखांकित किया और परिवर्तन के युग, समेकन के युग तथा नियंत्रण के युग के तीन चरणों पर विचार-विमर्श किया।

जनरल द्विवेदी ने इस बात पर बल दिया कि सशस्त्र बलों को गतिशील, चुस्त और तकनीकी रूप से सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2047 तक आत्मनिर्भरता के माध्यम से विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी क्षेत्रों में योगदान करने में सक्षम होना चाहिए और क्षेत्र में राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख स्तंभ तथा एक पसंदीदा सुरक्षा साझेदार बने रहना चाहिए।

इस कार्यक्रम में भारतीय सशस्त्र बलों के 167 अधिकारियों ने प्रमुख उच्च रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसमें मित्र देशों के 14 अधिकारी भी शामिल हैं। एचडीएमसी एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को रणनीतिक दूरदर्शिता, प्रबंधन विशेषज्ञता और निर्णय लेने की क्षमता से लैस करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जो उच्च रक्षा प्रबंधन तथा नीति निर्धारण भूमिकाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

सेना प्रमुख ने भावी रणनीतिक अधिकारियों को सशस्त्र बलों के परिवर्तन से लेकर राष्ट्र निर्माण में भूमिका और जिम्मेदारियों तक कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर संबोधित किया। उन्होंने स्नातक अधिकारियों से कल्पनाशील बनने, अपनी क्षमताओं को दिशा देने के उद्देश्य से दृष्टिकोण और अनुकूलनशीलता विकसित करने तथा भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सत्य, विश्वास एवं पारदर्शिता के सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया। सेनाध्यक्ष ने सम्मान स्वरूप उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मेधावी अधिकारियों को सम्मानित किया और उनके अनुकरणीय योगदान तथा शैक्षणिक उत्कृष्टता को सम्मानित किया।

समापन समारोह में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, संकाय सदस्यों और विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को विशेष बना दिया। स्नातक अधिकारी अब महत्वपूर्ण कमान और स्टाफ भूमिकाएं संभालने तथा सीडीएम में प्राप्त अमूल्य ज्ञान व रणनीतिक अंतर्दृष्टि को आगे ले जाने के लिए तैयार हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा एवं उच्च रक्षा प्रबंधन के प्रति उनकी वचनबद्धता सशक्त होगी।

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