अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति रै उत्थान खातर प्रतिबद्धता जताई है

  • दोय दिनां रो “आपणी धरोहर” कार्यक्रम घणी सारी नूंवी संकल्पनावां सागै सम्पन्न होयो

कोलकाता:  अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच, कलकत्ता कांनी सूं शनिवार अर रविवार रा राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति माथै आधृत राष्ट्रीय उछब घणी नूंवी आयोजनावां सागै सम्पन्न होयो। इण दोय दिवसीय उछब मांय आखै देस सूं सवा दो सौ नेड़ा प्रतिनिधियां घणै हरख सागै भाग लियो। दोनूं दिन सुबह सूं लेय’र सिंझ्या तांई राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति री चुनौतियां, छीजत अर चिंता माथै न्यारी-न्यारी संगोष्ठियां हुई। कार्यक्रम री सरूआत में स्वागत भासण करतां अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच रा उपाध्यक्ष पंकज राठी कैयो कै राजस्थानी सभ्यता अर संस्कृति नै बंचावण खातर राजस्थानी भासा नै बचाणो घणो जरूरी है। उद्घाटन भासण करतां कार्यक्रम रा सूत्रधार गौरव अग्रवाल कैयो कै राजस्थानी साहित्य री रोशनी पळकती रैवणी चाइजै, भासा सूं ही आपणी पिछाण है। दो दिवसीय कार्यक्रम री संयोजक अनुराधा खेतान कैयो कै जे आपणी भासाई धरोहर री रुखाळ नीं करी तो आपांनै घणो पिछताणो पड़सी। मारवाड़ी समाज नै आपरी भासा खातर जागणो जरूरी है। पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रवि अग्रवाल राजस्थानी भासा खातर घणा चिंतित दिख्या, बै कैयो कै राजस्थानी नै फगत घर में ई सीखी जा सकै है, इण वास्तै राजस्थानी परिवार चावै देस-विदेस में कठैई रैय रैया है, घर रा टाबरां सागै बत्ती सूं बत्ती राजस्थानी में बात करो। बां बतायो कै देस री राजधानी दिल्ली में मारवाड़ी युवा मंच कांनी सूं पचास करोड़ री लागत सूं विसाल युवा भवन बण रैयो है, इण भवन में राजस्थानी पोथ्यां री भोत मोटी लाइब्रेरी होसी अर अठै राजस्थानी में सोध अनुसंधान री सुविधा रैसी। अठै सूं राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति री उणंति रा कई कार्यक्रम चलाया जासी। इण मौकै मंच रा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद शाह कैयो कै आपणा संस्कार आपणी भासा सागै जुड़्योड़ा है। राजस्थानी री मान्यता री मांग मंच जोर सोर सूं उठासी।

मंच रा राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेन्द्र भट्टड़ कैयो कै मारवाड़ी समाज हजारां बरसां में आपरी जिण सांस्कृतिक अर लोक धरोहर रो सिरजण करयो है, बीं रै संरक्षण रा प्रयास भोत कम है। आपां नै आपणी भासा नै बढावो देवणो पड़सी। मंच विद्वानां सागै बैठ’र आगामी कई कार्यक्रम त्यार करसी। उद्घाटन सत्र री अध्यक्षता करतां पद्मश्री प्रहलादराय शोभासरिया इण बात माथै जोर दियो कै राजस्थानियां री 65 फीसदी आबादी युवा है। आपणै मोट्यारां नै जाॅब मांगण री ठौड़ जाॅब देवण री भावना सागै आगै बधणो चाइजै। मारवाड़ी लोगां री हिम्मत अर उछाव अर दानशीलता जगजाणी रैयी है। बौपार अर दान आपणै खून में रैयो है। आपणै अठै कैबत रैयी है कै मारवाड़ी साहूकार रै बंडी रै कारी होय सकै, पण हुंडी रै कारी कोनी होवै। बै कैयो कै आपणी कितरी मोटी साख रैयी है, कैयो जावतो– खाता न बही, मारवाड़ी बोलदै सो सही। देस री अर्थ व्यवस्था में आपणी एक मोटी सहभागिता है। भासा पेटै बै कैयो कै आपां नै आपणै दैनिक व्यवहार में राजस्थानी मिनख सागै राजस्थानी भासा में ही बंतळ करणी चाइजै। हरेक भासा रा लोग आपरी भासा खातर अवहेलना कोनी करै तो आपां क्यूं करां?

पैलड़ै दिन रै दूजै सत्र में कठपुतळी कला रो जीवंत प्रदरसण होयो। “म्हारी सांठी” यानी म्हारी कलम कार्यक्रम री अध्यक्षता नंदलाल भट्टड़ करी। युवा मंच सूं जुड्योड़ा नूंवा रचनाकार सुप्रिया सुराणा, मोहित अग्रवाल, दीपक अग्रवाल, गौरव अग्रवाल, बरखा बुधिया, सीमा अग्रवाल, मनीषा शर्मा, अर्चना मावड़िया, अलका अग्रवाल, केतन अग्रवाल, सोनाली, रामजीवण सुरेका आपरी स्वरचित हिन्दी राजस्थानी री रचनावां पेस करी।
मारवाड़ी कहावतां-मुहावरां रो संसार विसयक संगोष्ठी में ख्यातनांव साहित्यकार राजेन्द्र केडिया सम्बोधन करतां कैयो कै कहावतां रै प्रयोग सूं भासा में लालित्य आवै। जिकी बात नै 40 सबदां में कैयो जावै, एक कहावत रै जरियै बीं नै च्यार सबदां में कैयो जा सकै है। कहावतां रो लोक घणो ठाडो है। हरेक जात, पेसै, जीव, जिनावर री कहावतां है जिकी जीवण रै साच नै थोड़ा सा सबदां में अभिव्यक्त करै।

“आपणी धरोहर” विसय माथै एक कार्यशाला रै आयोजन में मोटिवेटर गुरु अनिल कुमार जाजोदिया आपरै विस्तृत संभाषण में पीपीटी रै जरियै धरोहर रै मायनां रो सांगोपांग वर्णन करयो। बां कैयो कै आपां सभ्यता रै जिण मुहानै माथै उभां हां, उणमें धरोहर रा जिता रूप है, बां सगळां री रुखाळ करणी आपणी जिम्मेदारी है। भासा, साहित्य अर संस्कृति नै बंचावण खातर आप कीं सूत्र देवतां कैयो कै इण कार्यक्रम री सारथकता इण बात में है कै आपां आपणी भासा में रुचि बधावां, उपयोग बधावां, कोसिस कर’र राजस्थानी री प्रतियोगितावां सरू करां, राजस्थानी पोथ्यां खरीदां, बांचां, मारवाड़ी परंपरावां रो पालण करां, मारवाड़ी लोक कलावां, संगीत रो रक्षण करां, राजस्थानी व्यंजन अर पैरवास नै प्रमुखता देवां, डिजिटल माध्यम सूं राजस्थानी संस्कृति रो खूब प्रसार करां। सोध, अनुसंधान, सांस्कृतिक नेतृत्व करां। मारवाड़ी मित्रां सागै उठणो बैठणो बधावां।

अगलै सत्र में खांतीला कथाकार विजयदान देथा री कहाणी कंजूस सेठ माथै नाटक रो प्रदरसण राखीज्यो। संदीप ढंढारिया, सेठ, शुभ्रा अग्रवाल, सेठाणी, रौनक मेहता, बेटो, श्वेता जैन, बहू री भूमिका रो निभाव करयो। इणरै पछै मारवाड़ी युवा मंच कांनी सूं प्रसिद्ध मूरतिकार- चित्रकार मातूराम वर्मा रो भव्य सम्मान करीज्यो। बां नै शाॅल, श्रीफल अर 21 हजार रिपियां री राशि सागै समाज-रत्न री उपाधि समर्पित करी गई। प्रशस्ति पत्र रो वाचन विमल नौलखा करयो। कार्यक्रम री अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेन्द्र भट्टड़ करी।

पैलड़ै दिन रै आगलै सत्र में राजस्थानी भासा रै महत्व माथै मुख्य वक्ता रतन शाह कैयो कै कोई बूझै कै आपां राजस्थानी क्यूं सीखां तो इणरो सीधो उत्तर है कै आपणी पिछाण बचावण खातर। भासा नहीं रैसी तो आपां आत्महीनता रा शिकार होय जास्यां। भासा एक पेड़ रै रूप में होवै, संस्कृति बीं रा डाळा, फळ फूल होवै। आपणी भासा नै बचावण खातर आपांनै बीज पुरूष बणनो पड़सी। आप कैयो कै अबार उपराष्ट्रपति अर लोकसभा अध्यक्ष दोनूं ई राजस्थानी है, पण कित्ती मजै री बात है, बांनै आपरी भासा री कोई चिंत्या कोनी। मारवाड़ी युवा मंच नै आपरी सगळी 800 साखावां में राजस्थानी प्रतियोगितावां सरू करणी चाइजै। युवा मंच राजस्थानी सारू आसा री किरण बण सकै।

इण दिन राजस्थानी सीखण खातर एक एप रो उद्घाटण करयो गयो। रात नै राजस्थानी गीतां री मनभावण सांस्कृतिक सिंझ्या राखी गई।

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