पूर्व भूमिका:राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के 31वें स्थापना दिवस के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि होंगे

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत 18 अक्टूबर 2024 को विज्ञान भवन में अपना 31वां स्थापना दिवस मनाने के लिए एक समारोह का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर, भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, मुख्य अतिथि, एनएचआरसी, भारत की कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी तथा आयोग के महासचिव, श्री भरत लाल एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करेंगे। स्थापना दिवस समारोह मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु आयोग की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।

इसके बाद, आयोग ‘भारत में बुजुर्गों के लिए संरचनात्मक ढांचे, कानूनी सुरक्षा उपायों, सुरक्षा अधिकारों और संस्थागत संरक्षण का आकलन’ विषय के तहत ‘वृद्धजनों के अधिकार’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन भी करेगा। सम्मेलन में तीन प्रमुख तकनीकी सत्रों के तहत वृद्धजनों की विभिन्न चिंताओं को संबोधित किया जाएगा, जिनमें ‘वृद्धजन आबादी को संबोधित करना’, ‘बढ़ती उम्र का जेंडर आधारित परिप्रेक्ष्य’ और ‘स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य का मूल्यांकन-स्वस्थ जीवन, उत्पादकता और सामाजिक सुरक्षा पर प्रभाव’ शामिल हैं। इन सत्रों में प्रख्यात विशेषज्ञों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारक भाग लेंगे और संबोधित करेंगे।

स्थापना दिवस और राष्ट्रीय सम्मेलन को यूट्यूब तथा वेबकास्ट लिंक पर लाइव देखा जा सकता है।

एनएचआरसी, भारत, वरिष्ठ नागरिकों को समाज के लिए मूल्यवान संपत्ति के रूप में मान्यता देता है। उनके समग्र कल्याण को बढ़ावा देने, उनके अधिकारों का सम्मान करने और सार्थक जुड़ाव को प्रोत्साहित करके राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान का सम्मान करना आवश्यक है। आयोग ने वृद्धजनों के अधिकारों पर चर्चा करने और उनके कल्याण के लिए उपायों पर सुझाव देने के लिए एक कोर समूह का गठन किया है। हाल ही में, आयोग ने उन्हें उपलब्ध संस्थागत प्रतिक्रियाओं और समर्थन का आकलन किया। आयोग ने कोविड-19 के दौरान वृद्धजनों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक परामर्शी भी जारी की। देश में वृद्धजनों के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के अलावा, एनएचआरसी माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 (एमडब्ल्यूपीएससी अधिनियम, 2007) सहित नीतियों और कानूनों के उचित कार्यान्वयन पर जोर देता है।

वृद्धजनों के अधिकारों के अलावा, आयोग समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर वर्गों के अधिकारों के संर्वधन एवं उनके संरक्षण हेतु कार्य कर रहा है। 12 अक्टूबर, 1993 से 30 सितम्‍बर, 2024 तक अपनी स्थापना के बाद से 31 वर्षों की यात्रा के दौरान, आयोग ने 2,873 स्वत: संज्ञान के मामलों सहित 2305194 (23 लाख 5 हजार 194) मामलों का निपटान किया है तथा मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 8,731 मामलों में 254 करोड़ रुपये से अधिक की मौद्रिक राहत के भुगतान की सिफारिश की।

पिछले एक वर्ष 1 अक्टूबर, 2023 से 30 सितम्‍बर, 2024 के दौरान आयोग ने 68,867 मामलों का निपटान किया तथा मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 404 मामलों में आर्थिक राहत के रूप में 17.88 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान की सिफारिश की। इस अवधि के दौरान स्वत: संज्ञान लेते हुए 112 मामले भी पंजीकृत किए गए। इसके अलावा मानव अधिकार उल्लंघन के आरोपों में 19 घटनास्‍थल जांच की गई।

एनएचआरसी, भारत ने अपनी स्थापना के बाद से कई घटनास्‍थल जांच, जन सुनवाई और शिविर बैठकों का आयोजन किया हैं। असंख्य विधेयकों और कानूनों, सम्मेलनों और अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा, 31 परामर्शियां, साथ ही 100 से अधिक प्रकाशन, जिनमें मासिक समाचार पत्र, हजारों मीडिया रिपोर्ट भी शामिल है, तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भागीदारी मानव अधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण की दिशा में आयोग के कार्यों की साक्षी हैं।

आयोग द्वारा जारी की गई 31 परामर्शियों में हाल ही में जारी की गई बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम), विधवाओं के अधिकार, भीक्षवृति में शामिल लोगों के अधिकार, भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार, अनौपचारिक श्रमिकों के अधिकार, मृतकों की गरिमा को कायम रखना, ट्रक ड्राइवरों के अधिकार, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए परारमर्शी, कैदियों द्वारा जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या के प्रयासों को कम करने के लिए परामर्शी तथा नेत्र संबंधी आघात को रोकने, न्‍यून और कम करने के लिए परामर्शी शामिल हैं।

एनएचआरसी, भारत ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानव अधिकार स्थितियों का आकलन करने के लिए 14 विशेष प्रतिवेदक नामित किए हैं। वे आश्रय गृहों, जेलों, अवलोकन गृहों और इसी तरह के संस्थानों का दौरा करते हैं, आयोग के लिए रिपोर्ट संकलित करते हैं, जिसमें भविष्य की कार्रवाई के लिए उनकी टिप्पणियां और सुझाव शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, आयोग ने विशिष्ट विषयगत मानव अधिकार मुद्दों की निगरानी करने और आयोग को अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने के लिए 21 विशेष मॉनिटर्स भी नियुक्त किए हैं। पूरे वर्ष के दौरान, उन्होंने मानव अधिकार स्थितियों में सुधार का सुझाव देने के लिए कई स्थानों का दौरा किया है।

आयोग गैर सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। आयोग ने सरकार के लिए अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए समय-समय पर विभिन्न मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले डोमेन विशेषज्ञों और संबंधित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए मानव अधिकारों से संबंधित विभिन्न विषयगत मुद्दों पर 12 कोर समूहों का गठन किया है। इन कोर समूहों की बैठकों के अलावा, आयोग मानव अधिकारों के विभिन्न मुद्दों पर विभिन्न हितधारकों के साथ ऑपन हाउस चर्चाओं का भी आयोजन करता है। आयोग ने पिछले एक वर्ष 1 अक्टूबर, 2023 से 30 सितम्‍बर, 2024 के दौरान, मानव अधिकारों के विभिन्न विषयों पर 13 कोर समूह बैठकें, 06 ओपन हाउस चर्चाएं और दो राष्ट्रीय परामर्श सम्‍मेलनों का आयोजन किया है।

एनएचआरसी, भारत देश भर के सभी 47 सरकारी मानसिक स्वास्थ्य अस्पतालों की सक्रिय रूप से देखभाल कर रहा है। आयोग सभी के लिए मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु केंद्र और राज्य सरकारों, पैरास्टेटल संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों के साथ सहयोग करना जारी रखे हुए है। पिछले साल से, आयोग ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों सहित अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को संवेदनशील बनाने का एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्‍य अधिकारियों को मानव अधिकारों की गहरी समझ से अवगत कराना है, जिससे वे अन्य कर्मियों को मानव अधिकार प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अपने संबंधित संगठनों के भीतर इस ज्ञान/अनुभव को साझा करने में सक्षम हो सकें।

आयोग ने मानव अधिकार जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ भी सहयोग किया है। पिछले एक वर्ष 1 अक्टूबर, 2023 से 30 सितम्‍बर, 2024 के दौरान, आयोग ने विभिन्न संस्थानों को 130 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता के साथ 69 सहयोगी कार्यशालाओं और 08 मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। इसके अतिरिक्त, आयोग ने ऑन-साइट शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप और 06 ऑनलाइन अल्पकालिक इंटर्नशिप का भी आयोजन किया, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों के सैकड़ों छात्रों को बिना अपनी यात्रा पर व्यय किए, ताकि उन्हें मानव अधिकारों के दूत के रूप में तैयार करने में मदद मिली। इस अवधि के दौरान, 45 संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों ने मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं और एनएचआरसी की कार्यप्रणाली के बारे में जानने के लिए आयोग का दौरा किया। इसके अलावा, सुरक्षा कर्मियों को जागरूक करने के लिए मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रीय अर्ध-सैन्य बलों और राज्य पुलिस संगठनों के लिए वार्षिक वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयो‍जन किया जाता हैं।

आयोग ने कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए सेल स्थापित करने के लिए विभिन्न खेल निकायों को नोटिस जारी किया है। आयोग सरकारी योजना के अनुसार हजारों बेघर व्यक्तियों को मुफ्त आवास प्रदान करने के लिए नियमित निर्देश जारी करता रहा है। सांप्रदायिक दंगों और आंतरिक संघर्षों के पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है। प्राकृतिक आपदाओं, भूमि अधिग्रहण और अन्य कारणों से विस्थापित हुए व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए आयोग लगातार प्रयासरत है। कर्ज में डूबे किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में आयोग ने सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किया।

आयोग के कुछ अन्य महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों में 97 कानूनों में संशोधन की सिफारिश करना शामिल है जो हैनसेन रोग से पीड़ित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव करते हैं। सरकार ने प्री-ट्रायल चरण में एनएचआरसी की परामर्शी के आधार पर बंधुआ मजदूरी के लिए मुआवजा बढ़ा दिया है।

आयोग एनएचआरसी अध्यक्ष, सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों के एशिया प्रशांत फोरम, राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों का वैश्विक गठबंधन (गनहरी), और संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद सहित अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार मंचों पर भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। पिछले महीने, आयोग ने एशिया प्रशांत के एनएचआरआई के दो दिवसीय सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की।

विभिन्न विशेषज्ञों से जुड़े बारह विषयगत कोर समूहों ने आयोग को सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का मूल्यांकन करने और उनकी सिफारिशें करने के लिए रूपरेखा तैयार करने में मदद की है। विशेष मॉनिटर और विशेष प्रतिवेदक, जो आयोग की आंख और कान हैं, आयोग के अधिदेश में योगदान दे रहे हैं।

आयोग ने अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए कई नई पहल की हैं, जिसमें अपने एचआरसीनेट पोर्टल को सभी राज्य प्राधिकरणों और अधिकांश राज्य मानव अधिकार आयोगों के साथ जोड़ना शामिल है। कोई भी व्यक्ति सीधे ऑनलाइन मोड के माध्यम से तेज और कुशल तरीके से शिकायत दर्ज कर सकता है और आयोग के पोर्टल पर अपनी शिकायत की वास्तविक समय स्थिति को ट्रैक कर सकता है। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रणाली पांच लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्रों और राष्ट्रीय सरकारी सेवा पोर्टल से भी जुड़ी हुई है।

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