केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान और किसान संगठनों से संवाद के क्रम की आज दिल्ली में शुरुआत की

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान और किसान संगठनों से संवाद के क्रम की आज दिल्ली में शुरुआत की। श्री चौहान ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है और किसान की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा है। उन्होंने कहा कि पिछली बार जब 100 दिन की उपलब्धियों की चर्चा मैं कर रहा था, तब यह तय किया था कि हर मंगलवार को किसान या किसान संगठनों से मिलने का क्रम प्रारंभ करूंगा क्योंकि कई बार ऑफिस मैं बैठकर समस्याएं समझ में नहीं आती हैं। जिनकी समस्याएं हैं उनसे सीधे संवाद करना, चर्चा करना और कोई विषय आए तो उसका समाधान करना यह हमारा कर्तव्य है। संवाद के दौरान कृषि मंत्रालय व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधिकारी भी शामिल थे।

श्री शिवराज सिंह ने कहा कि आज मैंने अलग – अलग किसान संगठनों से बातचीत आरंभ की है। आज लगभग 50 किसान नेताओं से भेंट की, उनके अनेकों सुझाव हमें मिले हैं, उनमें कुछ फसलों के मूल्य से संबंधित हैं और कुछ फसल बीमा योजना के बारे में हैं। कुछ सुझाव अवारा पशुओं की समस्या और उनके कारण होने वाले नुकसान के बारे में भी हैं। उन्होंने कहा कि नई फसल आने पर कौन से फैसले होने चाहिए, उसके बारे में भी अनेक सुझाव आए हैं।

उन्होंने कहा है कि अधिकारियों की टीम के साथ बैठकर सभी सुझावों पर हम वर्कआउट करेंगे और वर्कआउट करके जो हो सकता है वह करने का पूरा प्रयत्न करेंगे। श्री चौहान ने कहा कि सौहार्दपूर्ण वातावरण में किसान संगठनों से चर्चा हुई है और मोदी सरकार के कई निर्णयों की किसानों ने प्रशंसा की है।

उन्होंने कहा है कि पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 27.5%  इफेक्टिव हो गई, बासमती से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस हटाई है, प्याज के निर्यात के लिए एक्सपोर्ट ड्यूटी 40% से घटाकर 20% की गई, वैसे ही तुअर, उड़द और मसूर सरकार पूरी खरीदेगी आदि  हाल ही में लिये गये कई फैसलों की किसानों ने प्रशंसा की।

श्री चौहान ने कहा कि किसान से जो संवाद हमने प्रारंभ किया है वह सबके मन को भाया है यह संवाद लगातार जारी रहेगा। हमारे अपने किसानों से हम बात भी करेंगे और उनकी समस्याओं का ईमानदारी से समाधान करने का प्रयास भी हम करेंगे।

उन्होंने पराली प्रबंधन को लेकर कहा कि कई अनुसंधान हुए हैं, मशीनें भी बनी हैं, किसानों को पराली जलानी नहीं पड़ेगी, काट कर पराली का वेस्ट, वेस्ट नहीं वेल्थ बन जाता है। उसका भी हम बेहत्तर उपयोग करेंगे, अवेयरनेंस क्रिएट कर किसानों को कन्वेंस करने की कोशिश करेंगे।

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