राष्ट्रीय महामन्त्री, अखिल भारत हिन्दू महासभा(सावरकर सुभाष)।
१९४८ में जब चीन में मावो त्से तुंग की कम्युनिस्ट सरकार बनी। वह सरकार सोवियत रुस की कठपुतली सरकार थी। चीन की अधिक जनसंख्या को देखते हुवे मावो ने १९३८ में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना के अधिवेशन में प्रस्ताव पास किया,तिब्बत चीन का हाथ है,तथा उसकी पाँच अंगुलिया है नेपाल, भूटान, लद्धाख,अरुणाचल,लेह। मावो के इस स्वप्न को देख कर सोवियत रुस ने पूरे एशिया महाद्वीप तक कब्जा करने की परिकल्पना कर ली। राइस कंट्री के नाम पर चावल खाने वाले एशिया के इन राज्यों को एक होना है,रुस की सत्ता के अन्तर्गत। सुभाष चंद्र बोस हिरोशिमा नागासाकी पर अणुबम गिरने के बाद जापान के आत्म समर्पण करने के बाद रुस चले गये थे। वे ताइवान हवाई अड्डे पर वायुयान दुर्घटना में मरे नहीं थे। सुभाष बोस के निजी डाक्टर राव प्रत्यक्ष दर्शी थे। सुभाष बाबू की मृत्यु पर शाहनवाज़ कमीशन बैठा कर नेहरू ने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया व यह प्रमाणित करने की चेष्टा की सुभाष बोस ताइवान प्लेन दुर्घटना में मारे गये है। जनता नेहरू की इस थ्योरी अबिश्वास नहीं करे इसलिए सुभाष बाबू के निजी चिकित्सक डॉ. राव को जेल में डाल दिया। फिर इंदिरा गांधी ने खोसला कमीशन बैठाया। सोवियत रुस की सरकार ने सुभाष बोस उनके यहाँ क़ैद है भारत वर्ष को बुरी तरह लूटा तथा नेहरू को आदेश दे दिया तिब्बत वह अपनी कठपुतलों चीनी सरकार को दे दे। तिब्बत पिछले हज़ार वर्ष से एक स्वतंत्र राष्ट्र था। वहाँ भारत की तीन सैनिक चोकिया थी। वहाँ की डाक ब्यवस्था का संचालन भारत सरकार कर रही थी। सुभाष बोस को अपनी क़ैद में रख कर रुस ने नेहरू को ग़ुलाम बना रखा था।उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल नेहरू से कहते है चीनी सेना से भारत को लड़ना चाहिए। नेहरू ने तिब्बत वसीयो को धोका दिया। तिब्बत में चीन के हमलें के बाद भारत की वहाँ उपस्थित तीनों टुकड़ियों ने कुछ नहीं किया व तिब्बत को चीन ने क़ब्ज़े में ले लिया। नेहरू भारत के अपने तिब्बत की रक्षा नहीं करने पर यही कहा हम अपने मित्र चीन से मित्रता धर्म निबाह कर रहे थे। १९६२ में चीन के हमले के पहले सोवियत रुस ने उनके आदमी कामरेड कृष्ण मेनन को बनवा दिया। ताकि यह लड़ाई चीन आराम से बन जाएगा। सोवियत रुस ने मावो को मारने का असफल प्रयास नहीं किया होता तथा मावो ने सांस्कृतिक क्रांति कर प्रत्येक सोवियत समर्थक को मरवा दिया चीन रुस का सम्बन्ध नष्ट हो गया। नहीं तो आज भारत पर रुस का राज होता। बिस्व सावरकर मंच में हम सावरकर वादियों ने निर्णय लिया है तिब्बत के लोगो को चाइना से मुक्ति दिलवाएगी तथा भारत का कर्तव्य पालन करेंगे। सुभाष बोस की अस्थियाँ रुस से लायेंगे।