केश स्टडी ऑन बिरला ग्रुप , डालमिया ग्रुप, मोदी ग्रुप,अंबानी ग्रुप अदानी ग्रुप इन सब में व्यापक अंतर है,-मामूली नहीं- इंजीनियर श्याम सुंदर पोद्दार बी.ई. एम .बी.ए . चेयरमैन, सीताराम पोद्दार ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़

भारत वर्ष में स्वाधीनता के पहले सेठ रामकिशन डालमिया द्वारा टाटा से भी बड़ा प्रतिष्ठित डालमिया ग्रुप ऑफ़ कंपनी भारत का सबसे बड़ा ओद्योगिक समूह होता था। स्वाधीनता के पहले अंग्रेज़ों की कंपनियों को छोड़ दें, तो डालमिया ग्रुप भारतीयो में सबसे बड़ा ग्रुप था। बिरला का तो नामोनिशान नहीं था। टाटा भी इसके नीचे था।

सेठ रामकिशन डालमिया ने पहले डालमिया नगर बनाया। उसके बाद गूजरमल मोदी ने मोदी नगर बनाया।बाद में जे. के. ग्रुप द्वारा जे.के. पुरम बसाया गया। मोदी नगर में सेठ गूजरमल मोदी ने ४० वर्ष में १८ बड़े बड़े कारखाने लगाये व चलाये। वो तो मोदी जी ने अपने समय में ग्रुप की कंपनियों का अपने बेटो व छोटे भाई केदार नाथ जी मोदी में बंटवारा नहीं किया। केदारनाथ जी मोदी बंटवारा करा ना सके इसलिए आपस में लड़ाई झगड़े में ग्रुप नष्ट हो गया। सेठ रामकृष्ण डालमिया ने ३५००० एकड़ जमीन लेकर डालमिया नगर मे एक चीनी मिल से लेकर अपनी कपड़ा मिल आरम्भ की। बाद में वहाँ कई चीनी मिल स्थापित कर दी। डालडा घी का कारखाना स्थापित किया। कई सीमेंट प्लांट लगाये। सारे भारत व पाकिस्तान मे कई सीमेंट प्लांट लगा कर सिमेंट किंग आफ़ इंडिया बन गए।

बिरला ग्रुप का उत्थान कांग्रेस का कोटा परमिट राज है। भारत वर्ष में जितने रेयान के लाइसेंस मिले, बिरला को मिले। इसके चलते सब टेक्सटाइल मिल बर्बाद हो गई। बिरला ग्रुप माला माल हो गया। बिरला के पास एल्यूमीनियम का अनुभव नहीं था। जेके ग्रुप के पास था। फिर भी उनको कांग्रेसी सरकार ने लाईसेंस नहीं देकर बिरला को दिया। बिरला ने कैसर एल्यूमीनियम से समझौता किया। बिस्व बैंक को कैसर ने कगारंटी दी, हिंडाल्को को बिस्वा बैंक से रूपया उधार मिल गया। इससे हिंडाल्को लग गया। इसके लिये सरकार ९ पैसे प्रति यूनिट बिजली बेचती थी। एल्युमीनियम का कच्चा मॉल इलेक्ट्रिक करंट से तैयार होता था। पर उनको १० वर्ष के लिए २ पैसे प्रति यूनिट मिल गया। एक वर्ष में कारखाने की कीमत निकल आई। बिरला कांग्रेस की मेहरबानी व कोटा परमिट राज की देन था। इसलिए उसने कभी सॉफ्टवेयर की क्रांति को महत्वपूर्ण नहीं समझा। टाटा मेहनत से बढ़ रहा था। उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी की स्थापना की।धीरू भाई व बिरला में व्यापक अंतर हैं। बिरला के पास ग्वालियर सूटिंग थीं। धीरू भाई ने बाद में बिमल कंपनी बनायी। बिरला ने कोटा परमिट राज में उन्नति की इसलिए रिस्क लेने की क्षमता नहीं थी। सीमेंट का लाइसेंस लिया। वही धीरू भाई ने बिमल सूटिंग के बाद बैकवर्ड ईंटीग्रेशन किया। धीरू भाई ने कंपनी की कमाई शेयर होल्डर में ईमानदारी से बाँटी। दूसरे इस मामले में जरा अलग थे। धीरू भाई ने शेयर होल्डर के बिस्वास जीता। आज भी उनके बेटे कोई बड़ा से बड़ा इशू लाते हैं तो वह ओवर सब्सक्राइब हो हो जाता है। गौतम अड़ानी की कहानी एक मिशाल की है। एक मूंधरा पोर्ट से अडानी ने इतने कम समय में ३० लाख करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर दिया। बिरला की हिंदुस्तान मोटर्स के दो वर्ष बाद सुजुकी कंपनी जापान में आई। आज हिंदुस्तान मोटर बंद हो चुकी है। विश्व के जो नए उद्यमी है उनके लिए हीरो ग्रुप के ब्रिज मोहन लाल मुंजाल जो २ साइकिल बनाने से अपना उद्योग आरंभ किया फिर विश्व का सबसे बड़ा साइकिल निर्माता बन गया। उस समय बिरला की भारत साइकिल बंद हो गई। आज मुंजाल जी सिर्फ़ साइकिल में सबसे बड़े नहीं है। बल्कि उनकी बाइक हीरो भी बिस्वा बाज़ार में अपना स्थान रखती है।

आज के युवकों के आदर्श होने चाहिए नारायण मूर्ति, जिन्होंने इन्फ़ोसिस को जीरो से खड़ा किया। मेडिकल क्षेत्र में डॉ प्रताप रेड्डी अपोलो हॉस्पिटल,डॉ देवी शेट्टी-नारायण हृदयालय वाले उनके रोल मॉडल होने चाहिये। मारवाड़ी पुरखो में सेठ राम किशन डालमिया सेठ गुजरमल मोदी व आल के मारवाड़ी युवकों के नायक स्टील किंग एन लक्ष्मी निवास मित्तल होने चाहिए।नेहरू ने यदि। राम किशन डालमिया को बर्बाद नहीं किया होता तो डालमिया ग्रुप आज भारत का सबसे बड़ा ग्रुप होता राम किशन जी डालमिया के न नाती समीर जैन टाइम्स ऑफ़ इंडिया व टीवी चैनल। टाइम्स नाउ एक नंबर स्थान पर चला रहे है।

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