गांधी, नेहरू की जेल तिलक, लाला लाजपत राय, सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर की जेल में अंतर क्यों? कांग्रेस ब्रिटिश के विरुद्ध थी, तो किसी कांग्रेसी को भगत सिंह व मदन लाल धींगड़ा की तरह फाँसी क्यों नहीं?

इंजीनियर श्याम सुंदर पोद्दार, महा मंत्री। वीर सावरकर फाउंडेशन ————————————

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने शहीद खुदीराम बोस की फाँसी के विरोध में अपने समाचार पत्र में एक संपादकीय लिखा। ब्रिटिश सरकार उन्हें गिरफ्तार कर बर्मा के मांडले जेल में ६ साल के लिए क़ैद कर लेती है।
मांडले की प्राकृतिक स्थिति इतनी ख़राब थी कि वहाँ पर क़ैदी विषम बीमारियों से ग्रस्त हों जाता था। इसलिये सुभाष बाबू ने अपनी भाभी को मांडले जेल से पत्र लिखा। महात्मा तिलक की इतनी जल्दी मृत्यु नहीं होती यदि उन्हें मंडला जेल में नहीं रखा जाता। वही मोहम्मद अली को छुड़ाने के लिये गांधी ने संपादकीय लिखा। उसे भी। ६ वर्ष की सजा हुई, पर उसे बर्मा की मांडला जेल में नहीं भेज कर भारत की अहमद नगर जेल में भेज दिया गया। ६ वर्ष की सजा लोकमान्य तिलक को पूरी काटनी पड़ी। पर गांधी को २ वर्ष बाद ही छोड़ दिया गया क्यो? नेहरू को मांडला नहीं भेज कर उसका स्वास्थ्य तंदुरुस्त रहे अल्मोड़ा पहाड़ी स्थान में भेज दिया गया। गांधी को नेहरू को लाला लाजपत राय की तरह लाठी मार मारकर लहू लुहान नहीं किया। उन्हें जान से मार दिया क्योंकि तिलक,
लालाजी, सुभाष बोस गरम दल के नेता थे, जो खुले आम कहते थे स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। हम ब्रिटिश को भगा कर इसको लेकर रहेंगे। पूरे विश्व में वीर सावरकर जितने दिन जेल में रहे अंग्रेजों के जमाने में कांग्रेस के जमाने में नेल्सन मंडेला भीनहीं रहे। वीर सावरकर को अंग्रेज़ उनके राज्य के लिए ख़तरनाक व्यक्ति मानते थे, जिन्होंने अंग्रेजों की धरती पर अपनेशिष्य मदन लाल ढींगरा से कर्जन वायली का वध करा दिया। अंग्रेज भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम छोटा करके सैनिक विद्रोह कहते थे। वीर सावरकर ने प्रमाणित किया कि यह सैनिक विद्रोह नहीं, बल्कि भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम है।

अंग्रेज़ इस पुस्तक के लेखन से इतने डर गए की पुस्तक प्रकाशित होने से पहले ही इसे प्रतिबंधित कर दिया। वीर सवार को दो जन्मों का आजीवन कारावास यानी ५० वर्स की सजा दी। यहाँ जेल में सड़ कर मर जाएगा और ब्रिटिश यहाँ राज करते रहेंगे। राहुल ख़ान मैनो लोक सभा का सहारा लेकर झूट बोलते हैं कि मेरी दादी ने मुझसे कहा सावरकर माफ़ी माँग कर जेल से छूटे थे जब इंदिरा की मौत हुई राहुल गांधी बच्चे थे। इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर के बारे में क्या लिख यह इतिहास के पन्नो में दर्ज है। माफ़ी माँग कर छूटने वाले के लिए इंदिरा गांधी पोस्टल स्टाम्प नहीं निकालतीं।
११०० ०रुपए सावरकर स्मारक को ना देती। राहुल गांधी झूठों का सरदार है। वह प्रमाणित करे कि इंदिरा गांधी ने उनसे सावरकर के बारे में यह क़हा कि सावरकर जी को ११ वर्ष काला पानी की सजे मिली। फिर ३ वर्स जेल में रहे और सावरकर में इस शर्त पर रखा जाता वे राजनीति मे भाग नहीं ने सकते। ५ ५ वर्ष करके १५ वर्ष के लिए सरकार इस नजरबंदी व राजनीति बंदी को।बढ़ाती गई १९३७ में चुनावी में बॉम्बे प्रसिडेंसी को में। जीव राज मेहता मुख्यमंत्री चुने गए। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के समक्ष शर्त रख दी कि मैं मुख्य मंत्री की शपथ तबतक नहीं लूँगा जबतक वीर सावरकर पर लगा राजनीति प्रतिबंध व नजर बंदी नहीं हटाते। ब्रिटिश सरकार को उनके हठ के आगे मजबूर हो पड़ा। ब्रिटिश सरकार के सेवा करते उन्हें ब्रिटिश दक्षिण अफ़्रीका से भारत में लाते महलो जैसे आगा ख़ान महल में क़ैद करके रखते थे।

तिलक व लाला जी को मांडले जेल भेजा क्योकि वे ब्रिटिश सरकार को हटाने की बात करते थे। उन्होंने बंग भंग वापस लेने ब्रिटिश सरकार मजबूर कर दिया। ब्रिटिश अपनी राजधानी कलकत्ता से उठाकर दिल्ली ले गये। सरदार
पटेल भी गांधी जी के चेले थे। ब्रिटिश के दलाल नहीं थे, इसलिए अंग्रेजी ने गांधी जी से साफ़ कह दिया हम पटेल के हाथ में सत्ता नहीं
सौंप सकते। बाद में पटेल को बना देना। यह बात गांधीजी ने हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक दुर्गत उनके प्रश्न के जवाब में कही। नेहरू तो
प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार भी नहीं था। गांधी ने कहा कि ये हमारी मजबूरी थी क्योंकि हमारे कैम्प में एकमात्र नेहरू ही अंग्रेजों
का आदमी था। He is the only englishman in our camp प्रियंका ख़ान वाडरा अब यह बोलने का साहस न करे मोहम्मद नेहरू ने खेल यात्रा की थी वह टॉय मौज यात्रा थी.

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