प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल ने एमओपीआर-भाषिणी एमओयू हस्ताक्षर समारोह में कहा कि सूचना एवं सेवाओं तक पहुंच के बीच कोई भाषाई बाधा नहीं होनी चाहिए

नागरिक-केंद्रित डिजिटल शासन को सश्क्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंचायत राज मंत्रालय (एमओपीआर) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के अंतर्गत राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन, भाषिणी ने आज नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। इस साझेदारी का उद्देश्य ई-ग्रामस्वराज प्लेटफ़ॉर्म पर वास्तविक समय में बहुभाषीय पहुंच को सक्षम बनाना है, जिससे पूरे देश में ग्रामीण हितधारकों के लिए समावेशिता को बढ़ावा दिया जा सके और पहुंच को आसान बनाया जा सके।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल, पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह, एमओपीआर के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, भाषिणी के सीईओ अमिताभ नाग और एमओपीआर के आर्थिक सलाहकार डॉ. बिजय कुमार बेहरा भी उपस्थित थे। एमओयू पर पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर और भाषिणी के सीईओ अमिताभ नाग ने हस्ताक्षर किया, जो इस रणनीतिक सहयोग की शुरूआत को दर्शाता है।

एमओयू हस्ताक्षर समारोह में बोलते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल ने इस सहयोग को समावेशी शासन की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम बताया, जो भारत की समृद्ध भाषाई विविधता का सम्मान करता है और प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ई-ग्रामस्वराज प्लेटफॉर्म के साथ भाषिणी की उन्नत एआई अनुवाद तकनीक का एकीकरण करने से कई भारतीय भाषाओं में संचार को सक्षम बनाने, विशेष रूप से जमीनी स्तर पर सेवा वितरण एवं शासन प्रदान करने में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इससे शासन अधिक सहभागी, स्थानीय एवं नागरिक-केंद्रित बन सकेगा।

प्रोफेसर बघेल ने बताया कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के रणनीतिक एवं अर्थपूर्ण कार्यान्वयन ने लाखों ग्रामीणों के जीवन को रूपांतरित किया है। डिजिटल अवसंरचना सेवा वितरण एवं जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में ईज ऑफ लिविंग में मदद मिली है। ई-ग्रामस्वराज जैसे प्लेटफॉर्म ने पारदर्शी एवं कुशलता के साथ करोड़ों रुपये के डिजिटल वितरण को संभव बनाया है। उन्होंने पंचायत भवनों के साथ सामान्य सेवा केंद्रों के सह-स्थान की सराहना की, जिससे ग्रामीण नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाओं तक पहुंच बहुत सुविधाजनक बनी है और उन्होंने आधुनिक, उत्तरदायी स्थानीय शासन के प्रतीक के रूप में अत्याधुनिक पंचायत भवनों के उभरने की बात की। पंचायती राज मंत्रालय, भाषिषी एवं इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की टीमों को बधाई देते हुए प्रोफेसर बघेल ने कहा कि यह पहल प्रौद्योगिकी के माध्यम से पंचायतों को सशक्त बनाने की दिशा में एक साहसिक कदम है, जिससे वे डिजिटल रूप से सक्षम, नागरिक-केंद्रित और अपनी भाषा में लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन सिर्फ तकनीकी एकीकरण नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक समावेशिता का एक प्रतीक है, जो भारत को डिजिटल रूप से सशक्त, आत्मनिर्भर गांवों के दृष्टिकोण के समीप लाता है।

 

विवेक भारद्वाज, सचिव, पंचायत राज मंत्रालय ने भाषिणी, एमईआईटीवाई के साथ हुए समझौता ज्ञापन को एक ऐतिहासिक एवं दूरदर्शी पहल करार दिया, जो तकनीक के माध्यम से भाषा की बाधाओं को पार कर समावेशी शासन को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि भाषिणी सरकारी प्लेटफार्मों जैसे ई-ग्रामस्वराज को ज्यादा सुलभ बनाएगी, जो विशेष रूप से जमीनी स्तर पर कई भारतीय भाषाओं में संचार एवं सेवा वितरण को सुलभ बनाएगी। उन्होंने भाषिणी की भूमिका की सराहना की, जो आवाज एवं पाठ-आधारित संवाद का समर्थन करने वाले अनुवाद उपकरणों को विकसित करने में मदद कर रहे हैं, जिससे नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं के साथ आसानी से जुड़ने में सुविधा प्राप्त होती है, यहां तक कि साधारण मोबाइल फोन के माध्यम से भी। भारद्वाज ने आशा व्यक्त किया कि इस सहयोग के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि एवं कल्याण संबंधित समयबद्ध एवं सटीक जानकारी स्थानीय भाषाओं में प्रदान करने का सामर्थ्य प्राप्त होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मंत्रालय ने विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमियों के प्रतिभागियों के बीच संवाद को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाषिणी का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।

अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि एमओपीआर और भाषिणी के बीच साझेदारी पहले से मौजूद है और समझौता ज्ञापन ने इस महत्वपूर्ण सहयोग को एक औपचारिक संरचना प्रदान की है। उन्होंने यह भी कहा कि भाषिणी पहल का लक्ष्य प्रत्येक नागरिक को उनकी अपनी भाषा में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सरकारी सेवाएं प्रदान करना है। सिंह ने जानकारी प्रदान किया कि भाषिणी द्वारा विकसित भाषा निर्माण उपकरण अब अधिकांश सरकारी वेबसाइटों में एकीकृत हो चुके, जिसकी अब तक 100  करोड़ से अधिक उपयोगिता (अनुमान) सुनिश्चित हो चुकी है, जिसमें से लगभग 15 करोड़ का उपयोग केवल पंचायती राज मंत्रालय के प्लेटफार्मों के माध्यम से किया गया है। उन्होंने यह बताया कि भाषिणी कैसे पंचायतों को सेवा वितरण, रिकॉर्ड-कीपिंग और सरल भाषा में संचार में सुधार लाने में मदद करेगी। भविष्य की पहलों जैसे भाषिणी उद्यत (भाषा अनुवाद एपीआई का एकीकरण), भाषिणी मित्र (नए अनुवाद मॉडल का विकास), भाषिणी ऐपमित्र (वर्तनी जांचकर्ताओं, व्याकरण उपकरणों आदि का एकीकरण), भाषिणी सहयोगी (भाषादान मंच तक पहुंच) और भाषिणी प्रवक्ता (स्थानीय डिजिटल शासन को बढ़ावा देना) ग्रामीण नागरिकों को उनकी मातृभाषा में डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।

कार्यक्रम में भाषिणी गीत का प्रदर्शन भी शामिल था, जो भारत की भाषाई एकता का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जिसे भारत के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया और समावेशिता की भावना के साथ अभिभूत था।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद, एक लघु वीडियो भी जारी किया गया, जिसमें भाषिणी की एआई-संचालित अनुवाद को ई-ग्रामस्वराज के साथ एकीकृत किया गया। ई-ग्रामस्वराज, पंचायती राज मंत्रालय का प्रमुख डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग 2.5 लाख से अधिक पंचायतें योजना, बजट एवं सूचना प्रदान करने के लिए करती हैं।

 

यह एकीकरण संविधान की 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में वास्तविक समय बहुभाषी अनुवाद को सक्षम बनाता है, जो भाषिणी के उन्नत भाषा मॉडल एवं एआई/एमएल प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित है, जो डिजिटल शासन को पहले से कहीं अधिक सुलभ बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *