लखीमपुर खीरी (यूपी): लखीमपुर खीरी जिले में बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते थाना हैदराबाद थाना क्षेत्र के सीतापुर ब्रांच नहर पटरी पर 11हजार बोल्ट की लाइन का तार टूटकर बाइक पर गिर जाने से आग लग गई और हादसे में दो बच्चों सहित तीन लोगों की मौत हो गई और दो लोग झुलस गए थे। हादसे में मोटरसाइकिल चालक बबलू पुत्र अम्बरीष, मंजू पुत्री अम्बरीष, एवं अनमोल पुत्र सोने लाल की मौके पर जिंदा जलकर मौत हो गई थी। जबकि बिंदिया पत्नी अम्बरीष और खुशी पुत्री सोने लाल झुलस गई थी। जबकि दिन में ही तार टूटकर जमीन पर गिरा था जिसकी सूचना ग्रामीणों ने बिजली विभाग को दिया था लेकिन भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों की लापरवाही के चलते बहुत बड़ी घटना घट गई।

मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण की शिकायत एनएचआरसी में भेजकर मृतकों के परिवार को उचित मुआवजा प्रदान करने एवं दोषी अधिकारियों के ऊपर कठोरतम कार्यवाही करने का अनुरोध किया था।
आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रमुख सचिव ऊर्जा, अध्यक्ष- सह प्रबंध निदेशक यूपी पावर कार्पोरेशन लिमिटेड उत्तर प्रदेश एवं पुलिस अधीक्षक लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
आयोग ने दिनांक 02/12/2024 की कार्यवाही के अनुसार आयोग ने प्रस्तुत रिपोर्ट पर बिचार किया।एमवीवीएनएल ने अपने रिपोर्ट में बताया कि तीनों मृतक पीड़ितों के परिजनों को 5,00,000/- रुपए का मुआवजा दिया गया है। दो अन्य पीड़ित बुरी तरह से घायल हो गए गए है। इस लिए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव तथा मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के सीएमडी को निर्देश दिया कि दोनों घायल पीड़ितों बिंदिया (45) तथा खुशी (02) को मुआवजा वितरित करने का अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
इसके अलावा आयोग पुलिस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है कि संबंधित अधिकारी द्वारा लापरवाही बरते जाने के बावजूद कोई पुलिस कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है। जिसके कारण तीन निर्दोष पीड़ितों की जान चली गई। पुलिस रिपोर्ट ने दुर्घटना की पुष्टि की तथा बताया कि तीन पीड़ितों की मृत्यु हो गई तथा दो पीड़ित घायल हो गए। यह भी पुष्टि की गई कि दुर्घटना 11000 बोल्ट का विद्युत तार टूटने से हुई और पीड़ितों के ऊपर गिर गए।
आयोग ने कहा कि अफसोस की बात है कि पुलिस ने इस तथ्य के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की कि पीड़ित पर बिजली का तार टूट कर गिरा था और प्रथम दृष्टया बिजली विभाग और उसके अधिकारीयो की ओर से लापरवाही थी। पहले पुलिस ने पुलिस ने प्रतीत किया कि मामला बंद कर दिया गया था क्योंकि बिजली विभाग ने दोषपूर्ण टूटे हुए बिजली के तार को ठीक कर दिया है और अब यह प्रस्तुत किया गया है कि मुआवजा दिया गया है और विभागीय कार्यवाही की गई है।
आयोग ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि i पुलिस ने संज्ञेय अपराध होने की जानकारी होने के बावजूद तीन निर्दोष पीड़ितों की मौत में अपराधिक मामला क्यों दर्ज नहीं किया। जो कि ललिता कुमारी में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश का उल्लंघन है? ii.उस अधिकारी का नाम जिसने वर्तमान मामले में यूडी की क्लोजर रिपोर्ट को संभाला और तैयार किया? iii क्या मुआवजा देने या विभागीय कार्यवाही करने से आरोपी व्यक्ति की आपराधिक स्थिति का समाधान होता है। छह सप्ताह के भीतर जवाब दे, जिसके अभाव में आयोग मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 16 को लागू करने के लिए बाध्य होगा, ताकि संबंधित अधिकारियों के आचरण की जांच शुरू की जा सके।
इस पर आयोग ने छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। आयोग के निर्देशों के अनुपालन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखीमपुर खीरी, पुलिस अधीक्षक (एचआरसी) लखीमपुर खीरी तथा महाप्रबंधक (ओ.एस.) उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड ने मामले में पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही, मृतक व्यक्तियों के परिजनों को दिए गए आर्थिक मुआवजे तथा उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के दोषी अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही का विवरण देते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि दिनांक 02/12/2024 की अपनी पूर्ण कार्यवाही में उठाए गए बिंदुओं पर कोई विशिष्ट उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है।
पुलिस की लापरवाही पर आयोग ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए दिनांक 02/12/2024 की अपनी पूर्व कार्यवाही में पुलिस महानिदेश को रिमाइंडर जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का सख्त निर्देश दिया है। ऐसा न करने पर आयोग संबंधित अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के प्रावधानों को लागू करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।आयोग ने अतिरिक्त / पूर्ण रिपोर्ट 24/07/2025 तक आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।