प्रधानमंत्री मोदी का ‘नारी शक्ति’ का विजन क्रियान्वित: चार महिला वैज्ञानिकों की अगुवाई में भारत पूर्वानुमान प्रणाली तैयार की गई

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में दुनिया की पहली स्वदेशी रूप से विकसित उच्च-रिजॉल्यूशन मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों में से एक – भारत पूर्वानुमान प्रणाली – को समर्पित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चूंकि भारत विश्व में अपनी अर्थव्यवस्था के चौथे स्थान पर पहुंचने का जश्न मना रहा है तथा पहले स्थान पर पहुंचने की आशा कर रहा है, इसलिए हमारे पूर्वानुमान की सटीकता का उद्देश्य संभावित नुकसान को कम करके संभावित लाभ को बढ़ाकर आर्थिक विकास में योगदान करना है।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे द्वारा विकसित यह अत्याधुनिक प्रणाली भारत के मौसम पूर्वानुमान रिजॉल्यूशन को 12 किमी से बढ़ाकर 6 किमी कर देती है, जिससे भारत के हर गांव को अधिक सटीक और स्थान-विशिष्ट पूर्वानुमान प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह प्रगति भारत की मौसम सेवाओं में एक ऊंची छलांग है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह स्वदेशी सफलता भारत को मौसम पूर्वानुमान में वैश्विक अग्रणियों में स्थान दिलाती है। यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में हमारे उत्थान का गौरवपूर्ण प्रमाण है और अत्याधुनिक, आत्मनिर्भर वैज्ञानिक समाधान विकसित करने की हमारी क्षमता को दर्शाता है जो राष्ट्र की उपलब्धियों में एक और उपलब्धि है।”

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक उत्साहवर्धक खुलासा करते हुए बताया कि भारत पूर्वानुमान प्रणाली का नेतृत्व चार महिला वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘नारी शक्ति’ के दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “विज्ञान मंत्रालय अब महिलाओं को सशक्त नहीं बनाते – बल्कि हम उनके द्वारा सशक्त हो रहे हैं।”

परियोजना के पीछे राष्ट्रवादी भावना पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा: “प्रयास भारतीय हैं, तकनीक भारतीय है और लाभार्थी भी भारतीय हैं। यही सच्ची आत्मनिर्भरता है। इसके अलावा, यह प्रणाली वैश्विक स्तर पर अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों को भी लाभान्वित करेगी, जो मौसम की सबसे जटिल और परिवर्तनशील चुनौतियों का सामना करते हैं।”

‘विकास से विरासत’ के महत्व और कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को समर्थन देने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि यह प्रणाली चरम मौसम पूर्वानुमानों में सुधार करके फसल हानि और विसंगतियों को कम करने में मदद करेगी और ‘त्रिकोणीय घन अष्टफलकीय ग्रिड मॉडल’ पर आधारित तत्क्षण मॉडलिंग का उपयोग करके चरम वर्षा के पूर्वानुमानों में 30 प्रतिशत सुधार और कोर जोन में 64 प्रतिशत वृद्धि होगी।

उन्होंने आईआईटीएम, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), इसरो और अन्य संस्थानों के बीच “संपूर्ण विज्ञान” और “संपूर्ण सरकार” के विजन के रूप में निर्बाध सहयोग की सराहना की, जिससे भारत की समग्र वैज्ञानिक रणनीति को बल मिला।

उन्होंने आईएमडी की 150वीं वर्षगांठ समारोह में प्रधानमंत्री श्री मोदी की भागीदारी और हाल ही में शुरू किए गए मिशन मौसम का जिक्र करते हुए कहा, “पिछले कुछ वर्षों में आईएमडी की पूर्वानुमान क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।” मिशन मौसम में भारत के जलवायु पूर्वानुमान संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने के लिए 2000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जीवन और व्यवसाय को आसान बनाने में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और आईएमडी की भूमिका के बारे में बताया, क्योंकि कृषि, अंतरिक्ष और परिवहन सहित 20 से अधिक मंत्रालय प्रतिदिन मौसम सेवाओं पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने पूर्वानुमानों की अंतिम-मील डिलीवरी के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जिससे नागरिकों और किसानों दोनों को सूचित निर्णय लेने और जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान संचार में भाषायी समावेशन का जश्न मनाते हुए आईआईटीएम की हिन्दी राजभाषा पत्रिका “इन्द्रधनुष” का भी विमोचन किया।

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