फोंडा, गोवा (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले नगरी) – सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवले के 83वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की साधिकाओं द्वारा प्रस्तुत की गई नृत्य वंदना और भक्तिरसपूर्ण गायन केवल एक कला प्रदर्शन नहीं था, बल्कि ईश्वरप्राप्ति की ओर ले जाने वाली एक जीवंत आध्यात्मिक साधना का उत्कृष्ट उदाहरण था। इन प्रस्तुतियों ने यह संदेश भावपूर्ण रूप से दर्शकों तक पहुंचाया कि “कला केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक सशक्त साधना भी हो सकती है।”

यह भव्य महोत्सव गोवा के फोंडा स्थित फर्मागुडी के गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मैदान में अत्यंत श्रद्धा और आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न हुआ, जिसमें भारत सहित 23 देशों से 30,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
नृत्य वंदना का निर्देशन विश्वविद्यालय की संगीत विभाग की साधिका श्रीमती सावित्री इचलकरंजीकर ने किया। इस भक्तिपूर्ण प्रस्तुति में कु. वैष्णवी गुरव, कु. बांधव्या श्रेष्ठी, कु. सोनाक्षी चोपदार, कु. चांदनी आसोलकर, कु. शर्वरी कानसकर, कु. आराधना घाटकर, कु. अपाला औंधकर, कु. निधि गवारे, कु. तीर्था देवघरे, कु. अंजली कानसकर, कु. मृणालिनी देवघरे, कु. मोक्षदा देशपांडे और कु. वैदेही सावंत ने भाग लिया। सभी साधिकाओं ने इस नृत्य के माध्यम से गुरूचरणों में अपनी कृतज्ञता अर्पित की।
संगीत विभाग की अन्य साधिकाओं ने भी अपनी भक्तिपूर्ण संगीत सेवा के द्वारा गुरुओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ‘कला के माध्यम से ईश्वरप्राप्ति’ इस उच्च उद्देश्य को लेकर कार्यरत है और नृत्य, संगीत जैसी कलाओं के माध्यम से साधिकाओं को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा प्रदान कर रहा है।