आज के बदलते समय में रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उद्योग आधारित अनुसंधान एवं विकास संस्थान-अकादमिक सहयोग काफी महत्वपूर्ण है: रक्षा सचिव

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने आज के लगातार परिवर्तित होते समय में सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक एवं निजी उद्योग, डीआरडीओ जैसे अनुसंधान संस्थानों और शिक्षाविदों के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है। रक्षा सचिव 12 सितंबर, 2025 को महाराष्ट्र के पुणे में दक्षिणी कमान द्वारा आयोजित ‘प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का तालमेल’ विषय पर उद्घाटन सत्र स्ट्राइड 2025 सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रौद्योगिकी व्यवधान न केवल युद्ध की प्रकृति को बदल रहा है, बल्कि रक्षा उद्योग के व्यवसाय को भी परिवर्तित कर रहा है, उन्होंने सभी हितधारकों से नवीनतम तकनीकी रुझानों से अवगत रहने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।

रक्षा सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि तकनीकी श्रेष्ठता एवं औद्योगिक सामर्थ्य अक्सर युद्ध के परिणाम को निर्धारित करते हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता व्यक्त है कि रक्षा उद्योग हमारे विनिर्माण क्षेत्र के बाकी हिस्सों के साथ गति से बढ़े ताकि विकसित भारत तथा वर्ष 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन नवाचार के क्षेत्र में एक विकसित राष्ट्र बनने, भारत की स्टार्टअप संस्कृति को विस्तार देने, हमारे औद्योगिक आधार को व्यापक बनाने, देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने व रोजगार सृजन तथा प्रौद्योगिकी के दोहरे उपयोग से होने वाले लाभों के व्यापक मुद्दे के लिए महत्वपूर्ण है।

राजेश कुमार सिंह ने बताया कि चल रहे संघर्षों के परिणामस्वरूप दुनिया भर में प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद एवं आर्थिक संरक्षणवाद को बढ़ावा मिला है और साथ ही आर्थिक विखंडन, बहुपक्षीय संस्थाओं का पतन तथा राष्ट्रवाद की बढ़ती लहर भी देखी गई है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “हमें अपनी सॉफ्ट पावर को सहयोग देने की आवश्यकता है, क्योंकि हार्ड पावर अधिकाधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है।”

रक्षा सचिव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश तकनीकी दौड़ में आगे रहे। इन उपायों में रक्षा खरीद मैनुअल 2009 और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में संशोधन करना शामिल है ताकि उन्हें अधिक गतिशील, सक्रिय, कम प्रक्रिया-भारी तथा परिणाम पर अधिक केंद्रित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र और स्टार्टअप के लिए प्रवेश बाधाओं को कम करने, जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा प्रतिस्पर्धी बोली सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इसका उद्देश्य भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को व्यापक और विविध बनाना है।

राजेश कुमार सिंह ने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने और इसे आत्मनिर्भर बनाने में निजी उद्योग की भूमिका की सराहना करते हुए उनसे अनुसंधान एवं विकास तथा विनिर्माण क्षमता में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में तब तक उस स्तर का नवाचार और क्षमता नहीं आ सकते हैं, जिसकी सशस्त्र सेनाओं को आवश्यकता है, जब तक कि निजी क्षेत्र में आगे रहने तथा निवेश करने की इच्छाशक्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि रक्षा एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आपको छिटपुट आधार पर ऑर्डर मिलते हैं। राजेश कुमार सिंह ने कहा कि यदि हमारे पास प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग की ताकत है, तो हम घरेलू तथा निर्यात ऑर्डर के संयोजन के माध्यम से खुद को बनाए रखने में सक्षम होंगे।

दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने अपने संबोधन में रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला।

इस कार्यक्रम में सशस्त्र बलों के जाने-माने विशेषज्ञ, पूर्व सैनिक, विद्वान, डीआरडीओ, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि एक साथ आए, जिसका उद्देश्य अनुसंधान एवं विकास, उत्पादन, रखरखाव तथा नवाचार को शामिल करते हुए एक स्वदेशी डिफेंस इकोसिस्टम के लिए रोडमैप तैयार करना था। सेमिनार में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर आकर्षक पैनल चर्चाएं हुईं:

  • रिवर्स इंजीनियरिंग और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए उद्योग वित्तपोषण के माध्यम से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को तेजी से आगे बढ़ाना।
  • स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने में डीआरडीओ की भूमिका को सशक्त करना।
  • निजी उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और शिक्षा जगत के बीच बेहतर सहयोग के माध्यम से रक्षा विनिर्माण विकास में तेजी लाना।

इस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में एक उपकरण प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें अत्याधुनिक स्वदेशी नवाचारों को प्रदर्शित किया गया और भविष्य के लिए तैयार क्षमताओं के निर्माण की दिशा में सहयोग तथा साझेदारी को बढ़ावा दिया गया।

सेमिनार में आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने, हितधारकों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर राष्ट्रीय रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए दक्षिणी कमान की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *