केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के अवसर पर संबोधन

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नई दिल्ली, पूसा में आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस कार्यक्रम का विषय ‘कृषि परिवर्तन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास’ था। इस अवसर पर आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल जाट सहित वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित रहें।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि मेरी अत्यधिक इच्छा थी कि ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ का कार्यक्रम आईसीएआर में भी मनाया जाए। अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से आज हम देश और दुनिया में बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि खेती में प्रौद्योगिकी और विज्ञान कितना महत्वपूर्ण है। हमें इसे और आगे बढ़ाना होगा।

चौहान ने कहा कि वैज्ञानिक आधुनिक महर्षि हैं। हमने खेती बदली है, खेती की दिशा बदली है, किसान की जिंदगी बदली है। जनता के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है। हमने अनाज उत्पादन के नए रिकॉर्ड बनाए हैं और इसमें हमारे अंतरिक्ष विज्ञान का अतुलनीय योगदान है। आज कृषि के क्षेत्र में किसानों की मदद करने में अंतरिक्ष कार्यक्रम का महत्व उभरकर सामने आया है। क्रॉप एवरेज प्रोडक्शन एस्टिमेशन का सवाल हो, फसल प्रणाली हो, गेहूं, धान, सरसों, कपास, गन्ना इत्यादि का उत्पादन, क्षेत्रफल का सटीक रूप से अनुमान लगाना या मौसम की जानकारी सहित अन्य विषय, सभी में अंतरिक्ष विज्ञान की अहम भूमिका है।

चौहान ने कहा कि एक समय था जब कहावतों और मान्यताओं के आधार पर मौसम का अनुमान लगाया जाता था, लेकिन आज इसरो द्वारा विकसित ‘जियो पोर्टल’ के माध्यम से सूखे-बारिश व मौसम की लगभग सटीक जानकारी मिलने लगी है, इसका जनता की जिंदगी में कितना महत्व है, इसका हम सभी को आभास है। किसान भाई-बहन अब इसके अनुसार खेती की योजनाएं बनाने लगे हैं। हम जानते है कि ‘जियो पोर्टल’ मिट्टी की नमी के बारे में भी जानकारी देता है, फसल के स्वास्थ्य के बारे में भी डेटा को एकीकृत करता है और सटीक जानकारी उपलब्ध कराने का काम करता है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमने कई तकनीक विकसित करने की कोशिश की है। किसान द्वारा खींची गई फोटो के माध्यम से ही कीट का पता लगाने का प्रयास, रीयल टाइम गेहूं मॉनिटरिंग, गेहूं की बुवाई-कटाई क्षेत्रफल इत्यादि विषयों में अब सटीक अनुमान लगाना सरल हो गया है। गेहूं की बुवाई-कटाई के क्षेत्रफल मामले में कृषि मंत्रालय के आंकड़े और राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) प्रांगण ने जो कॉम्प्रिहेंसिव रिमोट सेंसिंग ऑब्जरवेशन ऑन क्रॉप प्रोग्रेस (सीआरओपी) फ्रेम वर्क विकसित किया है, दोनों के आंकड़े मेल खाते हैं। उन्होंने कहा कि निसार (नासा इसरो सिन्थेटिक ऐपर्चर रडार मिशन) की वजह से अब किसान की छोटी जोत क्षेत्रफल से लेकर बड़े क्षेत्रफल भाग तक, मिट्टी की नमी, फसल की सेहत, बायोमास सभी का सटीक अनुमान लगाना संभव हो गया है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को लेकर एक विषय उभरता रहा कि ‘क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट’ सही नहीं होते, पारदर्शिता की कमी रहती है। जिस किसान की फसल का नुकसान हुआ उसको लाभ नहीं मिलता और जिसका नुकसान नहीं हुआ उसको लाभ मिल जाता है। लेकिन अब सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिग के माध्यम से फसल के नुकसान का भी सही अनुमान लगाया जा सकता है। उपग्रह चित्रों के माध्यम से भी किसान भाइयों-बहनों को सही मुआवजा देना सुलभ हुआ है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तापमान में वृद्धि, तूफान, सूखे की स्थिति में सही समय पर चेतावनी, फसल की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में मददगार है। उन्होंने कहा कि सही जानकारियां किसानों तक पहुंचनी चाहिए और उन्हें जागरूक करने में हमारी अहम भूमिका अपेक्षित है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विज्ञान ने जो उपलब्धियां अर्जित की हैं, उसकी सीधी जानकारी किसानों तक पहुंचाने के ध्येय से ही ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी वर्तमान में हमारे समक्ष यही चुनौती है कि हम रीयल टाइम में किसानों को आवश्यक जानकारी से अवगत कराए, ताकि इन जानकारियों के आधार पर किसान खेती में फायदा उठा सके। उन्होंने कहा कि मुझे देश के वैज्ञानिकों की क्षमता पर पूरा भरोसा है। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में जो भी बातें सामने आईं, उससे वैज्ञानिक अवगत हैं। अभियान के दौरान किसानों ने विभिन्न व्यावाहारिक मांग रखीं। एक मांग यह भी रखी गई कि वैज्ञानिक ऐसा उपकरण विकसित करें जिससे नकली खाद और कीटनाशक का पता लगाया जा सके और यह जानकारी मिल सके कि उसमें कौन-कौन से तत्व सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या से किसान बड़े स्तर पर परेशान हैं। खेतों का विनाश हो रहा है। सोयाबीन के खेत में कीटनाशक के प्रयोग से फसल जलकर नष्ट हो गई। इसलिए मेरा आपसे आग्रह है कि इस दिशा में गंभीरता और तत्परता से काम करें।

केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि विज्ञान से उनका मतलब मात्र अंतरिक्ष विज्ञान से नहीं है। जहां अंतरिक्ष विज्ञान की आवश्यकता है वहां उसका प्रयोग हो और बाकि जो भी अन्य कृषि विज्ञान विषय हैं, उन पर वैज्ञानिक शोध और प्रयोग करके विकास के नए आयाम तय करें। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान जो 500 के करीब शोध के नए विषय उभरकर सामने आए हैं, उस पर काम करने की आवश्यकता है। ‘एक राष्ट्र-एक टीम-एक लक्ष्य’ के ध्येय से आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि एक टीम एक विषय पर केंद्रित रूप से रिसर्च करके तार्किक परिणाम अर्जित करने का काम करें। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके हमने किसानों की जिंदगी बदली है, लेकिन अभी और आगे काम करना है। छोटी जोत वाले खेतों में अंतरिक्ष विज्ञान और सामान्य विज्ञान के माध्यम से क्या और योगदान किया जा सकता है, इस ओर कारगर कदम उठाने होंगे। गन्ने और कपास में वायरस अटैक के समाधान तलाशने होंगे। दलहन-तिलहन-सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम करना होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज हम गर्व के साथ कह सकते है कि अंतरिक्ष में हमारी उपलब्धियां आज दुनिया को चकित करने का काम कर रही हैं। मैं भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुंभाशु शुक्ला जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उनकी अंतरिक्ष यात्रा की सफलता ने इस क्षेत्र में और तेजी से आगे बढ़ने के द्वार खोले हैं। भारत का यह मिशन मानवता के लिए सदैव शुभ रहेगा। हमारे देश में विज्ञान की परंपरा प्राचीन है। हमने दूसरों से नहीं सिखा बल्कि सिखाया है। हजारों साल पहले आर्यभट्ट जी ने गणित और खगोलशास्त्र की नींव रखी थी। इसी ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने का आज हम काम कर रहे हैं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान का उतरना, अपने आप में अलग गर्व का विषय है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज हम ‘गगनयान’ की तैयारी कर रहे हैं। देश तेजी से तरक्की की ओर बढ़ रहा है।

शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से कार्यक्रम के विभिन्न विषयों जिसमें कृषि हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अतीत और भविष्य पर चर्चा, कृषि सर्वेक्षणों, पशुधन, बागवानी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, विभिन्न फसल इत्यादि को अति महत्वपूर्ण बताते हुए, गंभीर चिंतन करने और लाभकारी परिणाम प्राप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज के सत्र में जो भी विचार-मंथन होगा उससे निश्चित रूप से अमृत रूपी कृषि विकास रुपरेखा प्राप्त होगी।

अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने सभी को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ की बधाई और शुभकामनाएं दीं तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए खेती, किसानी, पशुधन से बेहतर उपलब्धियां अर्जित करने का आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में मेधा की कोई कमी नहीं, हमारे वैज्ञानिकों की क्षमता अद्भुत है, जिसे बारंबार प्रणाम करता हूं। मुझे आशा है कि हमारे वैज्ञानिक अपने कौशल और क्षमता के बल पर अद्भुत उपलब्धियां अर्जित करते रहेंगे।

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