मालेगांव बम विस्फोट, मुंबई का 7/11 रेल विस्फोट और दाभोलकर हत्या इन मामलों का हाल ही में निर्णय हुआ। इन प्रकरणों में ‘‘राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ था’’ ऐसा सनसनीखेज आरोप पूर्व पुलिस आयुक्त मीरा बोरोवनकर ने लगाया। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि उन्होंने जिस राजनीतिक हस्तक्षेप की बात कही है, उसमें सम्मिलित नेताओं के नाम सार्वजनिक करें, यह आवाहन सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री चेतन राजहंस ने किया।
वे कोल्हापुर प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार परिषद में बोल रहे थे। इस अवसर पर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के करवीर तालुका संयोजक श्री अशोक गुरव, हिंदु एकता आंदोलन के जिला प्रमुख श्री दीपक देसाई, सनातन संस्था के डॉ. मानसिंग शिंदे, महाराजा प्रतिष्ठान के संस्थापक श्री निरंजन शिंदे और हिंदु जनजागृति समिति के श्री शिवानंद स्वामी उपस्थित थे।
श्री राजहंस ने आगे कहा कि इन घटनाओं के समय महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार थी। दाभोलकर प्रकरण में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने हत्या की जांच आरंभ होने से पहले ही ‘‘यह हत्या गोडसेवादी विचारधारा ने की है’’ कहकर जांच को विशिष्ट दिशा दी। क्या यही राजनीतिक हस्तक्षेप मीरा बोरोवनकर कहना चाहती थीं? एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर भी राजनीतिक दबाव था, ऐसा उन्होंने कहा। तो क्या उनका आशय तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, गृहमंत्री आर. आर. पाटील या केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम से हस्तक्षेप करने का है? यह वे स्पष्ट करें।
पुणे में दाभोलकर स्मृति दिन के अवसर पर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंनिस) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मीरा बोरोवनकर ने कहा कि वर्दी हरी, भगवी या सफेद नहीं होनी चाहिए। इस पर हम कहना चाहते हैं कि वर्दी ‘‘दक्षिणपंथी अथवा वामपंथी’’ भी नहीं होनी चाहिए। जिस संगठन के कार्यकर्ता नक्सलवादी होने पर गिरफ्तार हो रहे हैं, जिसका नाम कांग्रेस सरकार के समय गृहमंत्री आर. आर. पाटिल के काल में गुप्तवार्ता विभाग की ‘नक्सलवादियों की सहायता करनेवाले संगठनों’ की सूची में था, क्या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रहते हुए मीरा बोरोवनकर को यह जानकारी नहीं थी? हाल ही में प्रशांत कांबले उर्फ सुनील जगताप, एक कट्टर नक्सलवादी, रायगढ में गिरफ्तार हुआ। वह ‘अंनिस’ का कार्यकर्ता है। यह भी क्या उन्हें ज्ञात नहीं? इसी ‘अंनिस’ के संदर्भ में सातारा के सहायक धर्मादाय आयुक्त ने सख्त टिप्पणी करते हुए ट्रस्ट पर प्रशासक नियुक्त करने तथा विशेष लेखा परीक्षण करने की सिफारिश की है। क्या यह जानकारी उन्हें नहीं थी?
इसी मंच पर जाने के संबंध में भी बोरोवनकर ने कहा कि उन्हें ‘मत जाइए’ ऐसे लगभग 20 फोन आए, जिनमें से एक धमकी का फोन भी था। अगर एक पूर्व पुलिस आयुक्त को धमकी मिली, तो इतनी गंभीर घटना पर केवल एक साधारण खबर ही क्यों आई? क्या उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत की है?
दाभोलकर हत्या प्रकरण में भी हमीद दाभोलकर ने यह सनसनीखेज आरोप लगाया था कि ‘‘मेरे पिता को गांधी बना देंगे’’ ऐसी धमकी उन्हें मिली थी। परंतु न्यायालय में इससे संबंधित कोई भी ठोस विवरण या पुलिस शिकायत वे प्रस्तुत नहीं कर पाए। इससे जनता स्वयं समझ सकती है कि सत्य क्या है, यह स्पष्ट है, श्री राजहंस ने कहा।

