केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के अहमदाबाद स्थित जेतलपुर में नरनारायण शास्त्री प्रौद्योगिकी संस्थान (NSIT) का उद्घाटन किया।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि स्वामीनारायण भगवान के चरणों ने जेतलपुर गांव और कालुपुर गादी संस्था को शिक्षा के धाम के रूप में बदला है। स्वामीनारायण संप्रदाय ने पूरे जगत के कल्याण के लिए कई प्रवृतियों और अनेक मंदिरों के निर्माण से व्यक्ति, परिवार, धर्म के प्रति आस्था और धार्मिक चेतना जगाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि स्वामीनारायण संप्रदाय के मंदिरों ने गुजरात में सबसे बड़ा काम शिक्षा के क्षेत्र में किया है। इन गुरुकुलों ने आदिवासियों, दलितों और गांव के गरीब लड़के-लड़कियों के शिक्षण की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि स्वामीनारायण संप्रदाय के बिना गुजरात की साक्षरता की कल्पना नहीं की जा सकती। स्वामीनारायण संप्रदाय के योगदान से ही आज जेतलपुर के प्रख्यात शिक्षा संस्थान के अंतर्गत नरनारायण शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और उसमें फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ ग्रेजुएशन और डबल ग्रेजुएशन के लिए कॉलेज की शुरुआत हुई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब जेतलपुर में बीएससी फॉरेंसिक साइंस, एमएससी फॉरेंसिक साइंस, एमएससी सायबर सिक्यूरिटी, डिजिटल फॉरेंसिक्स के पांच साल तक के इन्टीग्रेटेड कोर्स पढ़ाए जाएंगे। शाह ने विश्वास जताया कि इस कोर्स से आनेवाले दिनों में जेतलपुर न सिर्फ अहमदाबाद पूरे गुजरात के युवाओं के फॉरेंसिक साइंस अध्ययन का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी और जब देश की जनता ने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया तो उन्होंने गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी को नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का काम किया।
अमित शाह ने कहा कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी फॉरेंसिक साइंस की एक्सक्लूसिव शिक्षा के लिए युनिवर्सिटी नहीं है। उन्होंने कहा कि जेतलपुर में भारत का नौवां फॉरेंसिक कॉलेज है। फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी आनेवाले दिनों में ऐसा वटवृक्ष बनने वाला है जो दुनिया भर के फॉरेंसिक साइंस जगत में एजुकेशन, ट्रेनिंग, रिसर्च और इनोवेशन को धरातल तक पहुंचाने की प्रक्रिया के साथ जुड़ा होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर क्षेत्र के कानून में आमूलचूल परिवर्तन लाने की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने 15 अगस्त को लाल किले से कहा था कि भारत के नागरिकों को 15 अगस्त 2047 से पहले अपने समाज और देश से गुलामी की निशानी और गुलामी के समय के सभी कायदे-कानून को समाप्त करने का लक्ष्य रखना है। शाह ने कहा कि आजादी के 70 साल तक विपक्षी पार्टी शासन में रही, परंतु हमारे देश में पुराना क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम और अंग्रेजों के बनाए कानून चालू रहे, जिनकी आत्मा भारतीय नहीं थी। अंग्रेजों ने कानून भारत पर राज करने के लिए बनाए थे न कि भारत के लोगों को न्याय दिलाने के लिए, इसलिए कानून का नाम इंडियन पीनल कोड था। अब इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता लाकर न्याय की शुरुआत हो गई है। उन्होंने कहा कि नए कानून के केन्द्र में भारत के नागरिक, माताएं और बेटियां हैं। उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतीय न्याय परंपरा के तौर पर कानूनी जगत की व्यवस्था के लिए यह नई शुरुआत की गई है।
अमित शाह ने कहा कि नए कानून में फॉरेंसिक साइंस की महत्वपूर्ण भूमिका रखी गई है। इस कानून के पूरी तरह लागू होने के बाद पूरे देश में सजा सात साल या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक साइंस साक्ष्य जुटाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने अनिवार्य बना दिया है। देश में जब हर क्राइम में फॉरेंसिक साइंस अधिकारी की विजिट आवश्यक हो तो हजारों फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि नए कानूनों की तैयारी 2020 से ही शुरू कर दी गई थी और 2020 में ही फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 से हर साल 30 हजार युवा फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट बनकर देश की सेवा करेंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार नई शिक्षा नीति भी लेकर आई। पहले शिक्षा, खासकर उच्च शिक्षा के अभ्यास क्रम स्ट्रीम स्पेसेफिक थे, लेकिन अब अगर टेक्नोलॉजी के किसी विद्यार्थी की अगर रुचि हो तो वह अर्थशास्त्र भी पढ़ सकता है। मेडिकल के साथ एथिक्स और कॉमर्स के साथ साथ कला भी सीख सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने नई शिक्षा नीति के जरिए एक प्रकार से शिक्षा में खुलापन लाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी शिक्षा-व्यवस्था शुरू की गई है जिससे देश की यूनिवर्सिटियों को विश्व स्तर की रैंकिंग में अच्छा स्थान मिले। अमित शाह ने कहा कि आनेवाले दिनों में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का विकास विश्व की अग्रणी टेक्निकल यूनिवर्सिटी के रूप में किया जाएगा और इसके लिए भारत सरकार का गृह मंत्रालय सभी तैयारियां कर रहा है।