कटक मारवाड़ी समाज के अधिसंख्य सदस्यों में वर्तमान पदाधिकारियों के कार्यकलापों के प्रति घोर असंतोष एवं आक्रोश

कटक : एक व्यक्ति विशेष को कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद के आगामी चुनाव लड़ने से वंचित करने के लिए वर्तमान पदाधिकारियों ने अनावश्यक और अनैतिक तरीके से संस्था के संविधान में अवैध संशोधन किए, जिसके कारण कटक के पूरे मारवाड़ी समाज में वर्तमान पदाधिकारियों के प्रति घोर अविश्वास, असंतोष और आक्रोश है।

मंगलवार 4 जून 2024 को प्रथम सभा का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के सभी घटकों के सदस्यों ने उपस्थित होकर सर्वसम्मति से आगामी चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए संजय कुमार शर्मा को प्रार्थी चुना। साथ ही कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष, महासचिव, सांगठनिक सचिव एवं मुख्य सलाहकार को फोन करके संविधान की प्रतिलिपि और सदस्यों की सूची की सॉफ्ट कॉपी प्रदान करने का निवेदन किया गया। बुधवार 5 जून 2024 को इन्हीं पदाधिकारियों को लिख कर संविधान की प्रतिलिपि और सदस्यों की सूची की सॉफ्ट कॉपी माँगी गई। अत्यंत दुख की बात है कि सदस्यों की सूची की सॉफ्ट कॉपी अभी तक नहीं दी गई है। जैसे ही उन्हें कि संजय कुमार शर्मा के बारे में ज्ञांत हुआ और संविधान की प्रतिलिपि माँगी गई, उन्होंने षड्यंत्र रचना आरम्भ कर दिया।

जब कई दिनों तक उपरोक्त दस्तावेज नहीं दिए गए, तो बाध्य होकर बुधवार 19 जून 2024 को स्थानीय मारवाड़ी क्लब प्रांगण में एक बड़ी सभा बुलाई गई, जिसमें समाज के सभी घटकों के 800 से ज्यादा सदस्यों ने भाग लिया और इन अनैतिक और अवैध गतिविधियों के प्रति विरोध जताया। पुनः एक बार सर्वसम्मति से आगामी चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए संजय कुमार शर्मा को प्रार्थी चुना गया।

इस बीच वर्तमान पदाधिकारिगण ने रातों-रात चोरी-छुपे संविधान का एक नया संस्करण छपवा दिया और यह झूठ फैला दिया कि संविधान में 06-09-2019 और 14-08-2022 को कई संशोधन किए गए थे। इनका मूल उद्देश्य था संजय कुमार शर्मा को चुनाव लड़ने से रोकना, क्योंकि ये लोग भली भाँति जानते हैं कि संजय कुमार शर्मा एक साफ-सुथरे छवि के कर्मठ और निष्ठावान समाजसेवी हैं। संविधान में तथाकथित संशोधन करके 75 वर्ष से अधिक आयु के सदस्यों, बारहवीं कक्षा से कम शिक्षा प्राप्त सदस्यों और दो से ज्यादा बार चुनाव हारे हुए सदस्यों को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है, जो की समाज में अशांति, मतभेद और भेदभाव सृष्टि कर रहा है। जनता में इस बात को लेकर भारी असहमति और घोर असंतोष देखी जा रही है।

जब सदस्यों ने मिलकर इन संशोधनों को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज दिखाने की माँग की तो वर्तमान पदाधिकारिगण ने रातों-रात वर्षों से चले आ रहे आधिकारिक कार्यालय को टाला लगा दिया, साइनबोर्ड हटा दिया, सारे दस्तावेज कोषाध्यक्ष के घर ले गए और कार्यालय का संचालन अब वहाँ से कर रहे हैं। हार कर सदस्यों ने इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ रजिस्ट्रेशन IGR को आवेदन करके 18 जून 2024 को कटक मारवाड़ी समाज के संविदान की प्रमाणित कॉपी प्राप्त की, जिसमें तथाकथित संशोधनों का कोई भी वर्णन नहीं है। IGR के नियमानुसार किसी भी संशोधन की सूचना IGR को दो महीने के अंदर देना आवश्यक है। यदि ये तथाकथित संशोधन 06-09-2019 और 14-08-2022 को सच में किए गए होते, तो इनकी सूचना अब तक IGR को क्यों नहीं दी गई।

इस बीच पता चला है कि वर्तमान पदाधिकारियों ने Executive Body Meeting में अपने हाँ में हाँ मिलाने वाले लोगों को चुनाव अधिकारी घोषित कर दिया है, जबकि इसका अधिकार तो केवल General Body Meeting को ही है। अब ये लोग यह झूठ भी फैला रहे हैं कि यह भी संशोधन कर दिया गया है।

विगत सोमवार 24 जून 2024 को स्थानीय मारवाड़ी क्लब प्रांगण में कटक मारवाड़ी समाज के सभी घटकों के 1500 से ज्यादा सदस्यों ने गणेश प्रसाद कन्दोई के सभापतित्व में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया। जनसभा में मुख्य चर्चा रही कटक मारवाड़ी समाज के वर्तमान पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे अनावश्यक, अनैतिक और अवैध कार्यकलाप। उपस्थित सभी सदस्यों ने एक स्वर में तथाकथित अवैध संशोधनों का, चुनाव अधिकारी के असंवैधानिक चयन का, आधिकारिक कार्यालय बंद कर देने का और दस्तावेज नहीं दिखाने का भरपूर विरोध किया और कहा कि यह संशोधन अनावश्यक, अलोकतांत्रिक, अवैध, जनभावना के विपरीत, समाज को बाँटे वाले, समाज में वैमनस्य फैलाने वाले और सदस्यों के मूल अधिकारों को छीनने वाले हैं और इन्हें तुरंत निरस्त किया जाए। जनसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि अध्यक्ष यह सब लिख कर दिया जाए और एक Extra Ordinary General Body Meeting अविलंब बुलाई जाए।

26 जून से 29 जून तक बार-बार संजय कुमार शर्मा और 8-10 वरिष्ठ सदस्यों ने 1080 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित यह ज्ञापन अध्यक्ष किशन कुमार मोदी को सौंपा, जिसमें इन तथाकथित अवैध संशोधनों को निरस्त करने के लिए अविलंब Extra Ordinary General Body Meeting बुलाने का निवेदन किया गया है, लेकिन किशन कुमार मोदी ने इस ज्ञापन की एक कॉपी रख तो ली मगर एक और कॉपी पर हस्ताक्षर करके रसीद देने से साफ मना कर दिया।

संस्था के कार्यालय में ताला क्यों लगा है? रातों-रात चोरी-छुपे संविधान को बदल कर पुनः छापा क्यों गया? सदस्यता सूची की सॉफ्ट कॉपी अभी तक क्यों नहीं दी गई? संशोधन संबंधित दस्तावेज क्यों नहीं दिखाए जा रहे? इनको किस बात का डर है? इसमें क्या रहस्य है, जो ये छुपाना चाहते हैं? क्या दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है? बीते वर्षों में इन्होंने ऐसा क्या अनैतिक और अवैध कार्य किया है जिसका दूसरा अध्यक्ष चुने जाने पर पर्दाफाश हो जाएगा? इन सवालों का जवाब न मिलने से समाज में घोर अविश्वास, असंतोष और आक्रोश है।

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