22 से 24 दिसंबर गुवाहाटी में 31वीं नेशनल जूनियर थांग-ता चैंपियनशिप का भव्य आगाज़, सोहन गिरी ने राष्ट्रीय खेलों में थांग-ता खेल को शामिल करने की नरेंद्र मोदी से की अपील

गुवाहाटी, असम : 27 दिसंबर, 2025 – असम के गुवाहाटी स्थित कर्मवीर नबीन चंद्र बोरदोलोई एसी इंडोर स्टेडियम में ’31वीं नेशनल जूनियर थांग-ता चैंपियनशिप 2025′ का अत्यंत उत्साह और गर्व के साथ शुभारंभ हुआ। थांग-ता फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इस भव्य खेल उत्सव में भारत के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 450 से अधिक योद्धाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर देश की इस प्राचीन मार्शल आर्ट का मान बढ़ाया।

उद्घाटन एवं विशिष्ट अतिथि:
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सोहन गिरी संस्थापक-अध्यक्ष, राष्ट्रहित सर्वोपरि संगठन ने अन्य गणमान्य अतिथियों
* श्रीमती रीना सिंघा अध्यक्ष, मणिपुरी विकास परिषद
* श्री मनोज कुमार सिन्हा प्रसिद्ध समाज सेवी
* डॉ. हुइड्रोम प्रेमकुमार सिंह ग्रैंडमास्टर एवं अध्यक्ष, वर्ल्ड थांग-ता फेडरेशन
* श्रीमती चुंगखाम लोइदेंगलेइमा देवी अध्यक्ष, थांग-ता फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ दीप प्रज्वलित कर खेल का शुभआरंभ किया
अपने मुख्य संबोधन में सोहन गिरी ने वर्तमान सरकार की नीतियों के दूरगामी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘खेलो इंडिया’ पहल ने हमारे स्वदेशी खेलों को न केवल मान्यता दी है, बल्कि आर्थिक मदद भी प्रदान की है। इस प्रोत्साहन के कारण युवाओं में अपनी मिट्टी के खेलों के प्रति उत्साह लगातार बढ़ रहा है और वे इसमें अपना उज्ज्वल भविष्य देख रहे हैं।”

गिरि ने ग्रैंडमास्टर प्रेम कुमार के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि पिछले 35 वर्षों के निरंतर प्रयासों से उन्होंने थांग-ता को न केवल पूरे भारत, बल्कि विश्व के कई देशों में लोकप्रिय बनाया है। यह गौरव की बात है कि आज यह स्वदेशी कला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है।
खेल के सामाजिक महत्व पर जोर देते हुए गिरि ने कहा कि खेल युवाओं को अनुशासन सिखाने और उन्हें नशे की लत से दूर रखने का सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने संकल्प लिया कि ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि संगठन’ ग्रैंडमास्टर प्रेम कुमार और सरकार के साथ मिलकर देश के हर स्कूल और कॉलेज तक इस कला को पहुँचाएगा, ताकि “हर घर स्वदेशी मार्शल आर्ट्स” का मिशन साकार हो सके।

मोदी सरकार द्वारा स्वदेशी खेलों को दिए गए सम्मान की सराहना करते हुए, गिरि ने एक मजबूत मांग रखी कि थांग-ता को अब ‘नेशनल गेम्स’ (राष्ट्रीय खेलों)में भी शामिल किया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि जब विदेशी मार्शल आर्ट्स वर्षों से इसका हिस्सा हैं, तो हमारी स्वदेशी कला को भी वही मंच मिलना चाहिए, ताकि खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों, कोटे और वित्तीय सुरक्षा का लाभ मिल सके।

यह चैंपियनशिप “हर घर स्वदेशी खेल” और “हर घर स्वदेशी मार्शल आर्ट्स” के नारों के साथ देश के युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रही है।

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