भारत मण्डपम् में सहस्रों हिन्दुओं का हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु वज्रनिर्धार

दिल्ली स्थित ‘भारत मण्डपम्’ में सनातन संस्था द्वारा आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ केवल एक महोत्सव नहीं था, अपितु वह सुप्त हिन्दू समाज में शौर्य की स्फुल्लिंग चेतानेवाला एक ऐतिहासिक समारोह था । जब देश की राजधानी में 3,000 से अधिक हिन्दू धर्माभिमानी एवं 800 से अधिक संगठनों के पदाधिकारी 13 और जे14 दिसम्बर की दो दिवसीय कालावधी में एकत्र आते हैं, तब वह सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान का स्पष्ट संकेत होता है । इस महोत्सव की सबसे बडी सफलता अर्थात हिन्दुओं के मन में निर्मित हुई ‘स्वसंरक्षण एवं राष्ट्ररक्षण’ की ऊर्जा है !

*शौर्य का जागरण !*

वर्तमान समय में हिन्दू समाज केवल पर्व-उत्सवों के आनन्द में मग्न है, ऐसे में विश्व हिन्दू परिषद के स्वामी विज्ञानानंदजी द्वारा दी गई चेतावनी नेत्र खोलनेवाली है । केवल होली-दीवाली में मग्न न रहकर, शेष प्रदेश जीतकर भारत को ‘प्रजासत्ताक हिन्दू राष्ट्र’ बनाने का ध्येय सम्मुख रखना, यही समय की मांग है ।

राष्ट्रमन्त्र ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वें वर्ष के निमित्त लगाई गई प्रदर्शनी नवीन पीढी को क्रान्तिकारियों के त्याग का स्मरण करानेवाली सिद्ध हुई । महोत्सव में प्रस्तुत किया गया अफजलखान वध का जीवन्त चित्रण एवं शिवकालीन युद्धनीति के प्रात्यक्षिक केवल प्रदर्शन तक मर्यादित नहीं थे, अपितु वह शत्रु को सटीक उत्तर देने की मानसिक सिद्धता करनेवाले थे। जैसा कि श्री. कपिल मिश्रा जी ने बताया कि, ‘जिहादी आतंकवादी कितने भी निर्मित हों, उन्हें गाडने के लिए अब घर-घर में छत्रपति शिवाजी महाराज तैयार होंगे’, यह आत्मविश्वास ही आनेवाले समय में हिन्दुओं की रक्षा करनेवाला है । इसके लिए मिश्रा जी ने इस निमित्त दिल्ली में स्थायी ‘शिवकालीन शस्त्र संग्रहालय’ स्थापित करने का आश्वासन भी दिया है ।

*आन्तरिक शत्रुओं की चुनौती एवं भक्ति का बल !*

‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी कर्नल आर.एस.एन. सिंह जी द्वारा प्रस्तुत किया गया ‘देश के अन्तर्गत पाकिस्तान’ का विषय अत्यन्त गम्भीर है । सीमा के शत्रु की तुलना में अधिक घातक इन आन्तरिक वैचारिक शत्रुओं को पहचानना एवं उन्हें ‘गजवा-ए-हिन्द’ की भाषा में ही उत्तर देना आवश्यक है । मात्र, यह करते समय केवल भौतिक शक्ति पर्याप्त नहीं है ।

हिन्दू जनजागृति समिति के सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ जी के कथनानुसार, भगवान का ‘न मे भक्तः प्रणश्यति’ यह वचन सार्थक करने के लिए हमें ईश्वर का भक्त बनना होगा । साधना का बल साथ होगा, तभी हम इस भीषण आपत्काल पर विजय प्राप्त कर सकेंगे ।

*आदर्श रामराज्य की ओर प्रयाण !*

अयोध्या में प्रभु श्रीराम की पुनर्स्थापना के पश्चात भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान का कालचक्र अब वेग से गतिमान हुआ है । विश्व अब शाश्वत शान्ति के लिए सनातन धर्म की ओर आशा से देख रहा है, आनेवाला समय सनातन संस्कृति का ही है इसलिए इस प्रवाह में बाधा उत्पन्न करनेवाली अधर्मी प्रवृत्तियों को कदापि सहन नहीं किया जाएगा’, ऐसी प्रखर चेतावनी केन्द्रीय मन्त्री श्री. गजेन्द्रसिंह शेखावत जी ने दी । जिस प्रकार कुरुक्षेत्र पर अधर्म का नाश करने के लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण ने ‘पाचजन्य’ शंख का भीषण जयघोष किया था, ठीक उसी प्रकार दिल्ली का यह ऐतिहासिक महोत्सव अर्थात हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु फूंका गया एक निर्णायक ‘पाचजन्य’ शंखनाद ही सिद्ध हुआ है !

*हिन्दुत्व की हुंकार !*

इस महोत्सव से प्राप्त सबसे बडी उपलब्धि अर्थात ‘हिन्दुत्व की हुंकार’ है ! सौ से अधिक प्रचार माध्यमों द्वारा इसका वार्तांकन करना, यह हिन्दुओं के बढते प्रभाव का लक्षण है । यह महोत्सव केवल धर्माभिमानी हिन्दुओं को ही नहीं, अपितु विद्यार्थी एवं सामान्य नागरिक जैसे प्रत्येक घटक को स्वधर्मरक्षण एवं राष्ट्रभक्ति की दिशा देते हुए, ‘भारत अब आदर्श रामराज्य की ओर अग्रसर है एवं आनेवाला समय केवल सनातन संस्कृति का ही है’ यह विजयी सन्देश देनेवाला सिद्ध हुआ । अब हिन्दुओं को केवल संगठित होकर रुकना नहीं है, अपितु आदर्श रामराज्य की स्थापना के लिए कटिबद्ध होना है । यह महोत्सव अर्थात आनेवाले ‘सनातन युग’ की भोर है । इस भोर का सूर्योदय तभी होगा, जब प्रत्येक हिन्दू धर्माचरणी एवं राष्ट्ररक्षक बनेगा !

 

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