पुरी : जगन्नाथ पुरी जियर स्वामी मठ में अमृत वर्षा हो रही है परम पूज्य कथा व्यास अनंत श्री विभूषित जगदगुरु श्री श्री 1008 स्वामी श्री रंगनाथाचार्य महाराज पीठाधिपति श्री रामानुज कोट उज्जैन ने श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान को पाना है तो चिंता छोड़कर चिंतन करो। संत के पास जाकर कभी गृहस्थी की चर्चा मत करो महात्मा के पास जाकर तो केवल एक ही प्रश्न करना चाहिए कि गोविंद की प्राप्ति कैसे होगी ।कन्हैया के चरणों में अनवरत प्रीत कैसे होगी। भगवान ऋषभदेव की कथा श्रवण कराते हुए आपने कहा जब लोग अनेकों लोग गृहस्थ आश्रम के प्रश्न पूछने लगे तो आपने कहा माता में कुछ नहीं जानता। केवल इतना ही जानता हूं हरि की स्मृति ही सब विपत्तियों से विमुक्ति दिलाता है। इसीलिए हरि का कीर्तन करो। भरत जी ने ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप किया और दामोदर कुंड गंदगी नदी के दामोदर कुंड में भगवान शालिग्राम ने आपको दर्शन दिया। एक हिरण के बच्चे के प्रति आपका मुंह हो गया जिसके कारण आपको हिरण यो में जन्म लेना पड़ा बाद में वहीं हिरण राजा रहूगढ़ बना और उसको जड़ भरत जी ने बड़ा ही सुंदर उपदेश दिया। आपने कहा आत्मा का ज्ञान कभी तपस्या से नहीं होता घर छोड़कर बन जाने में नहीं होता क्योंकि आत्मा तो केवल चिंतन का विषय है राजा को इस प्रकार ज्ञान हो गया। यदि कोई एक बार भी गोविंदा का नाम जप कर लेता है तो वह स्वप्न में भी यमराज पूरी को नहीं देखता ।
इस संबंध में अजामिल की कथा का बहुत ही सुंदर वर्णन अपने किया। श्री शुकदेव जी कहते हैं हे राजन गृहस्थ जीवन आदर्श है, श्रेष्ठ है लेकिन गृहस्थ जीवन श्रेष्ठ कब माना जाएगा जब गृहस्थ चरित्र में गोविंद के नाम का दान करें। प्रत्येक कार्य में गोविंद के नाम को प्रत्येक परिस्थिति में प्रभु को याद करना चाहिए। संसार में तीन राम हुए, एक राम भक्ति के मार्ग को प्रशस्त करते हैं दूसरे राम कर्मयोगी हैं और तीसरे राम बलराम जी ज्ञान योगी हैं। जो विश्व का भरण पोषण करने की शक्ति रखते हैं उनका नाम श्री भरत लाल है। गाय विश्व की माता है।आप यदि गाय की सेवा करते हैं तो 33 करोड़ देवताओं की सेवा का फल मिलता है पर दुर्भाग्य है हमारा अपने ही देश में अपने ही हिंदू राष्ट्र में हम लोग गाय की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। भक्त प्रहलाद की कथा को श्रवण कराते हुए आपने कहा कि नारायण के चरणों में भक्ति करने के नौ प्रकार हैं ,जिसे हम नवधा भक्ति कहते हैं पहली भक्ति है गोविंदा की कथा का श्रवण करना दूसरी कीर्तन तीसरी स्मरण अर्चना करना पाद सेवन करना अर्चना करना वंदन करना पांचवीं छठी तथा सातवीं भक्ति और आठवीं चरणों की वंदना करना सातवीं भक्ति दास्य बनकर गोविंद के चरणों में रहना दास्य भक्ति अंतिम भक्ति है , अंतिम भक्ति है आत्म निवेदन।
हिरण्यकश्यपु प्रहलाद को मारने का बड़ा प्रयास किया। आग में जलाया हाथी के नीचे डाला जेल में भूखा रखा लेकिन प्रहलाद को मारने के लिए सब उपाय असफल हो गए अंत में खंभे में बांधकर तलवार लेकर मारने दौड़ा तो लोहे के खंभे से भगवान नरसिंह प्रकट हुए।नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप को अपने जंघे पर रख करके सूर्यास्त के पश्चात अपने नाखून के द्वारा मार डाला सभी देवताओं लक्ष्मी जी के साथ बड़ी सुंदर स्तुति किया, लेकिन नरसिंह भगवान शांत नहीं हुए। अंत में प्रहलाद जी को गोद में नरसिंह भगवान लेकर हंसने लगे और प्रहलाद उनकी दाढ़ी को खुजलाने लगे अब दोनों हंस रहे हैं। भगवान प्रहलाद से कह रहे हैं वरदान मांगो, प्रहलाद जी ने कहा आपका हस्त मेरे सिर पर है इससे बड़ी बात मेरे लिए क्या हो सकती है। मुझे कुछ नहीं चाहिए, यदि देना चाहते हैं तो मेरे पिता को माफ कर दीजिए। ठाकुर जी बड़े ही दयालु है हिरणयकश्यप को क्षमा कर दिया। वहां का राज्य देकर भगवान अंतर्ध्यान हुए। प्रहलाद जी एक बार जंगल में गए जहां परम तपस्वी दत्तात्रेय का दर्शन आपको हुआ। श्री शुकदेव देव जी कहते हैं हे परीक्षित जो प्रसंग प्रहलाद का मैंने तुम्हें सुनाया वास्तव में यह प्रसंग नारद जी ने तुम्हारे बाबा युधिष्ठिर को सुनाया था। अतिथियों का सत्कार करना गृहस्थों का परम कर्तव्य है। इस अवसर पर ललतेन्दु जेना कमिश्नर देवोत्तर विभाग द्वारा वेद पाठशाला के आचार्यगण एवं विद्यार्थियों को मठ के युवराज सुदर्शन रामानुज दास के नेतृत्व में अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण करके सम्मानित किया गया।
ललतेन्दु जी का मठ के आचार्यों द्वारा वेद मंत्रो के मध्य अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण करके स्वागत एवं सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जियर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी एवं पीठाधीश्वर नैमिष नाथ भगवान रामानुज कोट अष्टंम भू बैकुंठ नैमिषारण्य परम पूज्य जगदगुरु श्री श्री 1008 स्वामी श्री श्याम नारायणाचार्य अयोध्या धाम स्वामी माधव प्रपन्नाचार्य युवराज रामानुज कोट अवंतिका पीठ ,डॉ विजय नारायण महंत कटकी मठ जगन्नाथ पुरी स्वामी नारायणाचार्य रामानुज दास उत्तर पारस मठ स्वामी राम पुकार रामानुज दास गया रामकृष्ण भवन पुरोहित श्री जी स्वामी जगन्नाथ पुरी स्वामी राम प्रपन्नाचार्य प्रधान पुजारी नैमिष नाथ भगवान राम नारायण शास्त्री रामानुज दास संपादक रामानुज पञ्चाङ्गम भोपाल ध्रुव दास महाराज वृंदावन रामअधार गौतम रामानुज दास कटनी सुदर्शन शास्त्री श्रवण गंधर्व कमल जी राव सुरेश जी राव आशीष वैदिक चितरंजन शुक्ला पुनीत तिवारी किशोरी रामानुजदासी नारायणी रामानुजासी दासी संध्या रामानुज दासी श्रद्धा रामानुज दासी धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ट्रस्टी रामानुज कोट नैमिषनाथ भगवान अष्टंम भू वैकुंठ नैमिषारण्य सहित भारी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

