राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर ध्यान केंद्रित करते हुए भोजन के अधिकार पर एक कोर समूह की बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए, एनएचआरसी सदस्य, श्रीमती विजया भारती सयानी ने भारत के 80 करोड़ से अधिक नागरिकों की सेवा में पीडीएस के महत्व और कमजोर समूहों की विशिष्ट पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में इसकी प्रभावशीलता पर बात की । उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में हमारे देश की उपलब्धि में यह बहुत महत्वपूर्ण है।
हांलांकि,उन्होंने कहा कि खाद्यान्न का रिसाव एवं विविधता जैसी समस्याएं पीडीएस पर असर डालती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इन मुद्दों के समाधान हेतु बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए खाद्यान्न की पहुंच सुनिश्चित करने में वन नेशन वन राशन कार्ड योजना (ओएनओआरसी) के महत्व पर भी चर्चा की ।
विचार-विमर्श की सह-अध्यक्षता करते हुए, एनएचआरसी सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने नीति निर्माण में एनएचआरसी कोर समूह के सदस्यों की जिम्मेदारी और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में पीडीएस की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि चर्चा में इस योजना के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंचने के लिए नीति और इसके कार्यान्वयन के बीच के अंतराल पर गौर किया जाना चाहिए। उन्होंने मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।
इससे पहले, संयुक्त सचिव श्री देवेन्द्र कुमार निम ने हमारे देश में खाद्य सुरक्षा और पोषण से जुड़े मुद्दों की गंभीरता पर संक्षिप्त विवरण दिया , जिन पर इस तरह के विचार-विमर्श के माध्यम से रचनात्मक सुझावों के साथ ध्यान देने, पहचानने और समाप्त करने की आवश्यकता है।
बैठक के अन्य उप-एजेंडे निम्नवत हैं:
1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की प्रभावशीलता- बैठक गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों जैसे विशिष्ट कमजोर समूहों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में पीडीएस की भूमिका पर केंद्रित थी। इसका उद्देश्य पोषण के दोहरे बोझ की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटना है।
2. भ्रष्टाचार और खाद्यान्न का रिसाव – बैठक में पीडीएस में भ्रष्टाचार और खाद्यान्न के रिसाव से संबंधित कार्यान्वयन के मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की गई।
3. एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना (ओएनओआरसी) – बैठक के दौरान ओएनओआरसी के कार्यान्वयन, चुनौतियों और संभावित समाधानों पर चर्चा की गई।
बैठक में विभिन्न मंत्रालयों, स्वायत्त निकायों, नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों, प्रतिष्ठित विषय-वस्तु विशेषज्ञों, चिकित्सकीय प्रोफेशनल के प्रतिनिधियों और रिसर्च स्कॉलर ने सार्वजनिक सेवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और लाखों भारतीयों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में इसकी सफलता को प्रतिबिंबित करने के लिए विचार-विमर्श में भाग लिया। बैठक के दौरान पीडीएस में खाद्यान्न रिसाव, आईसीडीएस और टेक-होम राशन कार्यक्रम के माध्यम से किफायती पौष्टिक भोजन के साथ आहार विविधता को संबोधित करने के लिए और अधिक प्रयासों पर जोर दिया गया।
अन्य उठाए गए मुद्दों में दोहरे और तिगुने पोषण बोझ से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक और बहु-क्षेत्रीय रणनीतियाँ शामिल हैं। ये बोझ किसी आबादी के भीतर अल्प-पोषण, अति-पोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के सह-अस्तित्व को संदर्भित करते हैं; अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों की रोकथाम के लिए आहार विविधता को बढ़ावा देने और समाज के सभी वर्गों के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के उपाय।
बैठक का समापन सामूहिक समझौते के साथ हुआ, जिसमें भूख और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में आशा की किरण के रूप में सेवा करने के लिए पीडीएस की प्रभावशीलता, अखंडता और पारदर्शिता के माध्यम से भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की गई। आयोग इस मामले में सरकार से सुधार के लिए सिफारिशें करने हेतु विभिन्न सुझावों पर आगे विचार-विमर्श करेगा।