एनएचआरसी द्वारा उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्णय से चंडीगढ़ मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी, श्री अनिल मसीह के संवैधानिक अधिकारों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाने वाली शिकायत प्रथम दृष्‍टया में खारिज

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक ऑनलाइन शिकायत को प्रथम दृष्‍टया में ही खारिज कर दिया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि सिविल अपील संख्या 2874/2024 कुलदीप कुमार बनाम यू.टी. चंडीगढ़ एवं अन्य के संबंध में, उच्‍चतम न्‍यायालय के दिनांक 20 फरवरी, 2024 के निर्णय के परिणामस्वरूप चंडीगढ़ मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी, श्री अनिल मसीह के मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

शिकायत सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट्स लिटिगेशन सोसाइटी (एससीएचसीएलए) की ओर से दायर की गई थी। यह आरोप लगाया गया था कि शीर्ष अदालत के आदेश से भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 और 21 के तहत प्रदत्‍त मौलिक/संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

शिकायत की सामग्री तथा उच्‍चतम न्‍यायालय के उक्‍त निर्णय को पढ़ने के बाद, आयोग ने पाया है कि श्री मसीह को अदालत द्वारा जारी अपने नोटिस पर जवाब दाखिल करने और सीआरपीसी की धारा 340 के तहत उनके खिलाफ शुरू की जाने वाली कार्यवाही का विरोध करने का अवसर दिया है। इसलिए, यदि शिकायतकर्ता चाहे तो अपनी शिकायतों को उचित मंच पर व्यक्त करने के लिए उपलब्‍ध वैकल्पिक उपायों का प्रयोग करें। इस प्रकार, यह स्वीकार किया गया है कि मामला आगे की सुनवाई हेतु उच्‍चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है और इस प्रकार, यह विचाराधीन है। इसलिए, एनएचआरसी (प्रक्रिया) विनियम, 1994 के विनियम 9 (XI) के मद्देनजर, याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

आयोग की यह भी राय है कि अन्यथा भी यह प्रचलित कानून है कि न्यायिक कार्यवाही में त्रुटियों, यदि कोई हो, के सुधार के लिए, पीड़ित पक्ष या पीड़ित पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी भी व्यक्ति को उस अदालत के समक्ष, जहां मामला आगे विचार के लिए लंबित है, अपील, पुनरीक्षण, समीक्षा, उपचारात्मक याचिका के रूप में सुधारात्मक मशीनरी की सुस्‍थापित व्‍यवस्‍था का लाभ उठाना चाहिए। इसलिए, मामले में शिकायत पर एनएचआरसी द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है।

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