मातृ दिवस पर विशेष कविता

माता

जीवन में प्रकृति द्वारा दिया गया अनुपम उपहार,
जिसे नर हो या नारी सब करें मन से स्वीकार।
वो जग में कहीं की भी हो, है बच्चे की भाग्य विधाता,
कहलाती माता, सिखाती संतान को सद्वव्यवहार ।

माता के प्यार का होता नहीं इस जग में मोल,
माता के आशीष में बहुत दम,है बड़ा अनमोल।
जिसके सिर पर मां का
हाथ रहे,
उससे सभी बला हमेशा हमेशा दूर रहे।

पहली गुरु होती है सबकी माता,
भले अक्षर ज्ञान से न रहा हो नाता।
माता की शिक्षा आजीवन शिशु के काम आए,
बुरे वक्त में सबसे पहले माँ ही जुबान पर आए!

लगती संतान को अपनी माँ सबसे सुंदर,
माँ जो भरती गुण सौंदर्य हमारे अंदर!
पूत कपूत भले ही हो जाता,
माता कभी नहीं होती है कुमाता!

स्वरचित-
रीता झा
कटक ,ओडिशा

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